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बिहार सरकार के खिलाफ सड़कों पर युवाओं का आक्रोश: आरवाईए और आइसा के नेतृत्व में चक्का जाम


 जदयू -भाजपा सरकार अड़ियल रवैया छोड़ बीपीएससी परीक्षा दुबारा कराने की करे घोषणा ! अभ्यर्थियों पर लाठी चार्ज बर्दास्त नहीं किया जाएगा!

बिहार की राजनीति में उठ रहे जनाक्रोश की नई लहर ने राज्यव्यापी स्तर पर सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त आवाज़ बुलंद की है। बीपीएससी 70वीं पीटी परीक्षा में हुए पेपर लीक और छात्रों पर बर्बर पुलिसिया दमन ने बिहार के युवाओं को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया। इस जनाक्रोश का नेतृत्व इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) कर रहा है. राज्यव्यापी चक्का जाम के व्यापक असर ने नीतीश कुमार और भाजपा-जदयू गठबंधन सरकार की नीतिगत विफलताओं और नौजवान विरोधी चेहरे को उजागर किया है.
यह चक्का जाम केवल एक प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह युवाओं के आक्रोश की प्रतिध्वनि थी, जो सरकार की संवेदनहीनता, प्रशासनिक भ्रष्टाचार और लोकतंत्र की कमजोर होती नींव के खिलाफ गूंज उठी। बिहार के विभिन्न जिलों में सैकड़ों की संख्या में छात्र और युवा सड़कों पर उतरे, जिन्होंने सरकार की दमनकारी राजनीति को चुनौती दी। इस आंदोलन ने यह साबित कर दिया कि बिहार के युवा अब चुप बैठने वाले नहीं हैं।
इस आंदोलन ने बिहार की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत की है। राज्य के युवा, जो अब तक रोजगार, शिक्षा और पारदर्शी प्रशासन की मांग करते आ रहे थे, इस आंदोलन में एकजुट हो गए। यह केवल बीपीएससी अभ्यर्थियों  का आंदोलन नहीं, बल्कि पूरे बिहार के उन लोगों की लड़ाई बन गई है, जो भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ खड़े होने का साहस रखते हैं। आंदोलन की व्यापकता ने यह साबित कर दिया कि बिहार के युवा अब किसी भी तरह के अन्याय और दमन को सहन करने के लिए तैयार नहीं हैं।

मुजफ्फरपुर में जाम का नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम ने करते हुए
आरवाईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम ने मुजफ्फरपुर में प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए कहा कि बीपीएससी जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में पेपर लीक होना, केवल एक तकनीकी चूक नहीं, बल्कि शासन की पूरी संरचना पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। ऐसी परीक्षाएं, जिन पर लाखों युवाओं का भविष्य निर्भर करता है, जब भ्रष्टाचार और माफिया तंत्र के चंगुल में फंस जाएं, तो इसका सीधा असर छात्रों की उम्मीदों और सपनों पर पड़ता है।
यह केवल एक परीक्षा का मामला नहीं है। यह बिहार के लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ का मामला है। यह सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बच रही है। प्रशासनिक भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रही है।परीक्षा माफिया खुलेआम सक्रिय हैं, लेकिन सरकार आंखें मूंदे बैठी है। सरकारी तंत्र की इस निष्क्रियता ने राज्य की न्याय प्रणाली और प्रशासनिक ईमानदारी को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

आरा रेलवे स्टेशन पर चक्का जाम का नेतृत्व कर रहे आरवाईए के राज्य सचिव, अगिआंव विधायक शिव प्रकाश रंजन ने कहा कि बीपीएससी पेपर लीक प्रकरण से नाराज छात्रों पिछले 15 दिनों से पटना में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे सरकार चाहती तो उनसे वार्ता कर सकती थी लेकिन उन्होंने आंदोलन पर लाठियों और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इस पुलिस दमन में दर्जनों छात्र बुरी तरह से जख्मी हुए है। इसके खिलाफ पूरे बिहार का युवा समुदाय आक्रोशित है। यह आंदोलन सरकार के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि युवाओं की आवाज़ को दबाने की कोशिशें अब सफल नहीं होंगी। अगर सरकार ने छात्रों की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया, तो यह जनाक्रोश और अधिक विकराल रूप लेगा और सड़कों से विधानसभा तक पहुंचेगा। क्योंकि यह आंदोलन केवल बीपीएससी पेपर लीक या पुलिसिया दमन के खिलाफ नहीं है। यह सरकार की उन छात्र - युवा विरोधी नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त आवाज है, जिसने राज्य को पिछड़ेपन और बेरोजगारी की दलदल में धकेल दिया है। यदि सरकार ने अपनी नीतियों में सुधार नहीं किया और जनभावनाओं को समझने की कोशिश नहीं की, तो यह जनाक्रोश सत्ता के गलियारों को हिला देगा। आरा में आन्दोलन का नेतृत्व आर वाई ए राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन सहित जिला अध्यक्ष निरंजन केशरी, आइसा नेता सुशिल कुमार, विकास सहित अन्य नेताओं ने किया.
पटना में चक्का जाम का नेतृत्व कर रहे आरवाईए के राज्य सह सचिव विनय कुमार ने कहा कि यह स्पष्ट है कि बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में हुई अनियमितताएँ भ्रष्ट परीक्षा तंत्र का परिणाम हैं। पेपर लीक और प्रशासनिक अक्षमता ने लाखों मेहनतकश छात्रों के सपनों पर कुठाराघात किया है। हम इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
सरकार का रवैया न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि यह भ्रष्टाचार को संरक्षण देने वाला भी प्रतीत होता है। छात्रों पर पुलिस लाठीचार्ज और उन्हें जेल में डालकर उनकी आवाज दबाने का कृत्य एक तानाशाही प्रवृत्ति को दर्शाता है। यह संघर्ष सिर्फ एक परीक्षा के लिए नहीं है, यह संघर्ष हर उस छात्र के अधिकार के लिए है जो मेहनत और ईमानदारी से अपने भविष्य का निर्माण करना चाहता है। यह सरकार अगर छात्रों की आवाज नहीं सुनेगी, तो यह साफ है कि यह चिंगारी क्रांति की आग में बदलेगी नौजवान अपने हक के लिए और बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरेंगे, अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे और सरकार की तानाशाही नीतियों को चुनौती देंगे।
 
आइसा की राज्य अध्यक्ष प्रीति पटेल  ने कहा पटना पालीगंज के 25 वर्षीय युवा सोनू कुमार, जो बीपीएससी 70वीं परीक्षा के अभ्यर्थी थे, सत्ताजनित अवसाद का शिकार होकर आत्महत्या कर लिए। यह घटना सरकार की विफलता और तानाशाही प्रवृत्ति का जीवंत प्रमाण है। सोनू की आत्महत्या ने बिहार सरकार की नीतियों और सोच पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह केवल एक युवा की मौत नहीं, बल्कि लाखों अभ्यर्थियों की उम्मीदों पर प्रहार है। सरकार को समझना होगा कि एक और सोनू की जान जाने से पहले वह अपनी नीतियों में सुधार करे। युवाओं को अवसर देने और उनके सपनों को साकार करने के लिए एक न्यायपूर्ण और भ्रष्टाचार मुक्त प्रणाली आवश्यक है।  उन्होंने कहा सरकार को न केवल सोनू के परिवार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, बल्कि उनकी बहनों की शिक्षा और सरकारी नौकरी की गारंटी भी सुनिश्चित करनी चाहिए। बीपीएससी 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार और लापरवाही के उदाहरण सामने आए हैं। बाबू सभागार में हुई परीक्षा को रद्द करना पड़ा, जो सरकार की विफलता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। ऐसे माहौल में बेरोजगार युवा, जो न्याय और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं, उन्हें पुलिसिया दमन और लाठीचार्ज का सामना करना पड़ता है। यह वक्त है कि सरकार तानाशाही रवैया छोड़कर युवाओं की समस्याओं को संवेदनशीलता से सुने और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाए। वरना आने वाले दिनों में ऐसे और भी "सोनू" हमारी व्यवस्था की विफलता के शिकार हो सकते हैं।
 
राजधानी पटना में आरवाईए के राज्य सह सचिव विनय कुमार, जिला अध्यक्ष साधु सरण, जिला सचिव मिथलेश कुमार आइसा की राज्य अध्यक्ष प्रीति पटेल , राज्य सचिव सबीर कुमार के नेतृत्व में डाकबंगला चौराहा को जाम किया गया। इसके साथ ही पटना ग्रामीण में पालीगंज, पुनपुन मसौढ़ी में भी आरवाईए कार्यकर्ता सड़कों पर उतर चक्का जाम को सफल बनाया।


दरभंगा में आरवाईए के राज्य सह सचिव संदीप चौधरी, आईवाईए नेत्री ओणम सिंह, आइसा नेता प्रिंस कर्ण और मयंक यादव के नेतृत्व में दिल्ली जाने वाली बिहार संपर्क क्रांति ट्रेन को रोककर प्रदर्शन किया गया। साथ ही शहर के मुख्य मार्ग को भी जाम रखा गया।
 
भोजपुर में आरवाईए के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन , जिला अध्यक्ष निरंजन केशरी, आइसा नेता विकाश कुमार ने आरा स्टेशन पर बक्सर पटना पैसेंजर को घंटों रोककर प्रदर्शन किया। इसके अलावे कोईलवर सहित कई अन्य जगहों पर सड़क भी जाम की गई।
सिवान में आरवाईए के राज्य उपाध्यक्ष जयशंकर पंडित, जिला अध्यक्ष उपेंद्र गौड,विशाल यादव आइसा नेता विकाश यादव के नेतृत्व में जेपी चौक को 4 घंटे से अधिक समय तक जाम रखा गया।
 गोपालगंज के भोरे में आरवाईए के राज्य अध्यक्ष जितेंद्र पासवान के नेतृत्व में जिला कार्यालय से मार्च निकाल चार मुहानी को घंटों तक जाम रखा गया। 
अरवल में आरवाईए राज्य उपाध्यक्ष साद शाह के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में सड़क पर उतरे नौजवानों में घंटे हाइवे को जाम रखा। चक्का जाम के समर्थन में स्थानीय माले विधायक महानंद सिंह भी आन्दोलनकारियों के समर्थन में सड़क पर उतरे.
समस्तीपुर में आरवाईए के जिला सचिव रौशन यादव,राहुल राय,आइसा नेता सुनील कुमार,लोकेश राज के नेतृत्व में समस्तीपुर - दरभंगा मुख्य मार्ग को 3 घंटे तक जाम रखा गया। साथ ही कल्याणपुर में जाम का नेतृत्व आरवाईए के राज्य उपाध्यक्ष रणजीत राम ने किया।

सहरसा में आरवाईए के राज्य कार्यकारणी सदस्य कुंदन यादव,  आइसा नेता आदित्य रंजन ने शिवपुरी रेलवे ढाला के समीप ट्रेन को रोककर जाम किया गया वही सहरसा - मधेपुरा बायपास रोड को जाम किया गया।
सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज में आइसा जिला सचिव अमित चौधरी, अध्यक्ष संतोष सिसौदिया, आरवाईए के जनमजाई राई, के नेतृत्व में सुलौनी पुल के समीप 3 घंटे तक हाइवे जाम रखा गया।
बेगूसराय में आइसा राज्य उपाध्यक्ष अजय कुमार, जिला अध्यक्ष सोनू फर्नाज के नेतृत्व में बेगूसराय-सिलीगुड़ी नेशनल हाईवे को जाम किया गया, इस बीच पुलिस प्रशासन से जमके नोक झोक हुई।
मुंगेर में आरवाईए के जिला संयोजक सुमित यादव के नेतृत्व में मार्च निकाल कर सड़क पर आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया गया।
छपरा में आइसा के जिला सचिव दीपांकर मिश्रा, जिला अध्यक्ष कौशिक कुणाल आरवाईए नेता अनुज दास के नेतृत्व में शहर के डाकबंगला रोड पर 2 घंटे तक जाम रखा गया।
मधेपुरा में आइसा जिला सचिव पावेल कुमार, अध्यक्ष सन्नी कुमार, आरवाईए के जिला संयोजक कृष्ण कुमार के नेतृत्व में पीपी मंडल चौक पर सड़क जाम कर प्रदर्शन किया गया।
 बक्सर में आरवाईए नेता राज देव सिंह के नेतृत्व में मार्च निकाल शहर के ज्योति चौक पर सड़क जाम किया गया।
  
हमारी माँगें स्पष्ट हैं:
1. BPSC की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को अविलंब रद्द किया जाए और नई परीक्षा की तारीखों की घोषणा की जाए।
2. पेपर लीक और परीक्षा माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और इस गंदे तंत्र को जड़ से उखाड़ फेंका जाए।
3. पुलिस लाठीचार्ज के दोषियों को तुरंत बर्खास्त कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
4. जेल में बंद छात्रों को तुरंत रिहा किया जाए और उन पर लगाए गए फर्जी मुकदमे वापस लिए जाएँ।
5. मृतक अभ्यर्थी सोनू कुमार के परिजनों को 5 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए।

वतन कुमार

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