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सम्मानजनक रोजगार के लिए और सांप्रदायिक बुलडोजर राज के खिलाफ देशव्यापी ‘गांव यात्रा’ करेगा इंकलाबी नौजवान सभा: नीरज कुमार 



'अग्निपथ भर्ती योजना' वापस लेने और देश की आज़ादी, संविधान, लोकतंत्र व भाईचारे पर हो रहे हमले के खिलाफ आज से देशव्यापी 'गांव यात्रा' की शुरुआत की गई है। यह यात्रा गांव-गांव में नौजवानों से संवाद कर रोजगार के सवाल पर बड़े आंदोलन संगठित करेगा. 

 

'अग्निपथ भर्ती योजना' वापस लेने और देश की आज़ादी, संविधान, लोकतंत्र व भाईचारे पर हो रहे हमले के खिलाफ आज से देशव्यापी 'गांव यात्रा' की शुरुआत की गई है। यह यात्रा गांव-गांव में नौजवानों से संवाद कर रोजगार के सवाल पर बड़े आंदोलन संगठित करेगा. 

नीलांबर-पीताम्बर नगर, डाल्टनगंज, पलामू, झारखंड में 10-11 सितंबर को होने वाले आरवाईए का राष्ट्रीय सम्मेलन तक चलेगा व्यापक अभियान। 

आरवाईए बिहार  राज्य अध्यक्ष आफताब आलम और राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन के संचालन में हुए राज्य परिषद् की बैठक में बनाई गई 'गांव यात्रा' की योजना.

बैठक को संबोधित करते हुए आरवाईए के राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार ने कहा कि हमारा देश आज़ादी के 75वें साल में प्रवेश कर चुका है। हमारा मुल्क नौजवानों का मुल्क है। यहां आधे से अधिक आबादी (54%) 25 साल से कम उम्र के नौजवानों की है और 62% आवादी 15 से 59 साल के उम्र की है और कोई भी देश अपने नौजवान आबादी को सम्मानजनक रोजगार देकर ही तरक्की कर सकता है। 
केंद्र की मोदी सरकार ने सत्ता में आने से पहले प्रत्येक साल दो करोड़ नौजवानों को रोजगार देने का वादा किया था। रोजगार देने की बात तो दूर उल्टे 2 करोड़ रोजगार छीन लिया गया और मोदी सरकार के आठ साल बीत जाने के बाद 10 लाख रोजगार देने की फिर से घोषणा की है.  
नौजवानों के तीखे विरोध के बावजूद सरकार 'अग्निपथ भर्ती योजना' को वापस लेने को तैयार नहीं है। कृषि कानून की तरह ही सरकार यह कहकर अड़ी हुई है कि नौजवानों को इसके फायदे समझ में नहीं आ रहे हैं। इंकलाबी नौजवान सभा इसे वापस लेने के लिए आंदोलन को तेज करेगा। 
तमाम कठिनाइयों से लड़ते हुए आज महिलाएं शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में सामने आ रही हैं लेकिन उनके अधिकारों को लेकर सरकार बेहद लापरवाह है। आशा, आंगनबाड़ी से लेकर विभिन्न सेक्टरों में महिला कामगारों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद कार्यस्थलों व अन्य संस्थानों में यौन उत्पीड़न के खिलाफ प्रभावी कमेटियां नदारद हैं। इसके उलट यह स्थिति है कि भाजपा व उनके अनुषांगिक संगठन महिलाओं की अभिव्यक्ति व उनकी आज़ादी को ही सीमित करना चाह रहे हैं। महिला अधिकारों, आज़ादी और बराबरी के लिए संघर्ष तेज़ करना होगा।
मोदी सरकार लगातार देश के संविधान को ताक पर रख कर विरोध की आवाज़ व आम नागरिकों के अधिकारों को कुचल रही है। लोकतंत्र की संस्थाओं पर कब्जा जमाकर देश पर तानाशाही थोपने की कोशिशें कर रही है। आज़ादी आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि भारत के संविधान व आज़ादी के शहीदों/आंदोलनकारियों ने जो नए समतामूलक, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी हिंदुस्तान का सपना देखा था उन सपनों की हत्या की जा रही है। सरकार देश के नागरिकों व नौजवानों के जरूरी सवालों पर अमल करने के बजाय नफरत का कारोबार चला कर देश के भाईचारे पर प्रहार कर रही है। 
ऐसे चुनौतीपूर्ण दौर में अपने सम्मानजनक रोजगार के अधिकार व अवसर को बचाने की लड़ाई को मजबूत करें। देश के संविधान, आज़ादी, लोकतंत्र भाईचारे पर हो रहे हमले का डटकर मुकाबला करें और हमारे अमर शहीदों ने जिस आज़ाद,  लोकतांत्रिक, समतामूलक, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी हिंदुस्तान का सपना देखा था उस हिंदुस्तान को बनाने के लिए क्रांतिकारी आंदोलन का हिस्सा बनने, आरवाइए का सदस्य बनने और 7 वें राष्ट्रीय सम्मेलन को सफल बनाने की अपील की गई.

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