संविधान, लोकतंत्र व भाईचारे पर हमले के खिलाफ अंबेडकर जयंती पर आरवाईए का खबरदार मार्च
- ryahqofficial
- Apr 15
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डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर इंकलाबी नौजवान सभा आरवाईए के आह्वान पर देश भर में “खबरदार मार्च” निकाला गया।
यह मार्च संविधान पर हमलों के खिलाफ युवाओं की ललकार थी। जो बाबा साहब के सपनों को चकनाचूर करने की साज़िश को नेस्तनाबूद करने के जज्बे के साथ सड़कों पर उतरे थे। शहरों से लेकर गांव- मोहल्ले तक निकाली इस मार्च में नौजवानों, छात्रों और ग्रामीण जनता का जोश और संकल्प का संदेश दे रहा था कि अब संविधान के दुश्मनों को बख्शा नहीं जाएगा। हर गली, हर नुक्कड़, हर मोड़ पर भारतीय संविधान जिंदाबाद,बाबा साहब अमर रहें,संविधान की रक्षा के लिए आगे बढ़ो, लोकतंत्र और भाईचारे के हिफाजत करो जैसे गगनभेदी नारे गूंज रही थी। यह मार्च संविधान पर हो रहे सुनियोजित हमलों के खिलाफ युवाओं की ललकार थी।
जन सभाओं को संबोधित करते हुए आरवाईए के नेताओं ने साफ शब्दों में कहा कि यह दिन केवल फूल चढ़ाने और भाषण देने का नहीं, बल्कि उस महान संकल्प को दोहराने का दिन है जो बाबा साहब ने इस देश के हर गरीब, दलित, अल्पसंख्यक, महिला, श्रमिक और शोषित के लिए लिया था।

आज जब भाजपा-आरएसएस की जोड़ी संविधान को टुकड़े-टुकड़े करने पर आमादा है, उसकी आत्मा को रौंद रही है, तब चुप रहना गुनाह होगा और संघर्ष करना फर्ज़। मोदी सरकार हर दिन संविधान के एक-एक अनुच्छेद को मिटाने का षड्यंत्र रच रही है। फासीवादी हमला अब प्रतीकों पर नहीं, आत्मा पर है। वे चाहते हैं कि भारत अडानी - अंबानी का गुलाम बन जाए, एक सांप्रदायिक तानाशाही में बदल जाए। वक्फ संशोधन विधेयक इसका ताज़ा सबूत है यह कानून न केवल मुसलमानों की ज़मीनें हड़पने की साज़िश है, बल्कि भारत के बहुलतावादी ताने-बाने को तार-तार करने की सोची-समझी चाल है। यह सिर्फ मुसलमानों की नहीं, हर संवेदनशील इंसान की लड़ाई है, हर भारतीय की लड़ाई है, जो अपने देश को दंगाई राष्ट्र के रूप में नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में देखना चाहता है।

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