रोजगार की लड़ाई को मजबूत करें, इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के 7 वें राष्ट्रीय सम्मेलन को सफल बनाएं !
मोदी सरकार के इस जुमले व हमले के शासन के खिलाफ निर्णायक नौजवान आंदोलन खड़ा करने के लिए प्रतिबद्ध नौजवान संगठन इंकलाबी नौजवान सभा को मजबूत करें और झारखंड के पलामू में
10-11 सितंबर को होने वाले 7वें राष्ट्रीय सम्मेलन को सफल बनाएं।
रोजगार की लड़ाई को मजबूत करें, इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के 7 वें राष्ट्रीय सम्मेलन को सफल बनाएं !
हमारा देश आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर चुका है और इसी साल देश के नौजवानों के क्रांतिकारी आंदोलन की बुलंद आवाज इंकलाबी नौजवान सभा का 7वाँ राष्ट्रीय सम्मेलन 10-11 सितंबर को उलगुलान, 1857 क्रांति व हूल विद्रोह के नायक बिरसा मुंडा, नीलांबर-पीतांबर और सिद्धो-कान्हो की धरती झारखंड में होने जा रहा है।
हम भारत के नौजवान देश की आजादी के 75 वें सालगिरह मानते हुए देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले शहीदों को याद कर रहे हैं। शहीदों के सपनों का देश बनाने का संकल्प ले रहे हैं।
हमारा मुल्क नौजवानों का मुल्क है। यहाँ आधी से अधिक आबादी (54%) 25 साल से कम उम्र के नौजवानों की है और 62% आबादी 15 से 59 के बीच की उम्र की है।
कोई भी देश अपनी नौजवान आबादी को सम्मानजनक रोजगार देकर ही तरक्की कर सकता है। विकास व विश्वगुरु के शोरशराबे के बीच सच्चाई यह है कि बेरोजगारी व मँहगाई का ऐसा खराब आलम आजाद भारत में पहले कभी नहीं हुआ था। सांप्रदायिक भावनाएं भड़काकर फूट डालने वाले मुद्दों पर महीनों बहस करने वाली मीडिया के लिए यह कोई सवाल भी नहीं है। सरकार और गोदी मीडिया नौजवानों के बीच नफ़रत बांटने के कारोबार में मस्त है।
रोजगार के अवसर :
केंद्र की मोदी सरकार ने सत्ता में आने से पहले हर साल दो करोड़ नौजवानों को रोजगार देने का वादा किया था। रोजगार देने की बात तो दूर, उल्टे 2 करोड़ से अधिक रोजगार छीन लिए गए। हालात तो यह है कि पहले से मौजूद रोजगार के अवसरों को अपने दुलारे पूँजीपतियों के हाथों नीलाम किया जा रहा है। रेलवे, जो हर साल 30 से 40 हजार नौजवानों को रोजगार देता था, को बेचा जा रहा है। रेलवे सहित तमाम सरकारी संस्थानों, संस्थाओं व कंपनियों को बेच कर रोजगार के अवसरों को खत्म किया जा रहा है। बीएसएनएल, एमटीएनएल, एलआईसी, कोल इंडिया, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, ओएनजीसी, हेल, भेल, सेल, हाइवे, पाइपलाइन सहित देश के दर्जनों सरकारी संस्थानों को नीलाम किया जा रहा है जो बड़ी संख्या में नौजवानों को रोजगार देते थे।
फ्री की रेबड़ी कौन किसको दे रहा है:
प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तरप्रदेश की एक सभा को संबोधित करते हुए ‘रेबड़ी कल्चर’ पर तंज कसा था। प्रधानमंत्री के अनुसार नागरिकों को दी जाने वाली सस्ती शिक्षा-स्वास्थ्य, बिजली-पानी, राशन- किरासन सब ‘रेबड़ी कल्चर’ है। सवाल यह उठता है की मोदी सरकार द्वारा लाखों करोड़ जनता का पैसा अपने दोस्त कॉर्पोरेट को छूट दिया जा रहा है यह कौन सा कल्चर है ?
एक आरटीआई के जबाव में सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि कॉर्पोरेट का 11 लाख करोड़ माफ किया गया है। तो मोदी जी बताएंगे कि कॉर्पोरेट को यह जो छूट दिया गया यह ‘रेबड़ी कल्चर’ में आता है या नहीं ?
देश की जनता की गाढ़ी कमाई का 68607 करोड़ रुपया मोदी जी के 50 दोस्त लेकर देश से बाहर भाग गए और सरकार उसे वापस लाकर पैसे वसूलने में नाकाम रही, यह ‘रेबड़ी कल्चर’ में आता है या नहीं?
असल में प्रधानमंत्री मोदी, देश की जनता के प्रति सरकार की जो जिम्मेदारी से भागने के लिए इस तरह की जुमलेबाजी कर रहे हैं। असल रेबड़ी कल्चर तो प्रधानमंत्री मोदी ने बना रखा है अपने कॉर्पोरेट दोस्तों के लिए देश और जनता की गाढ़ी कमाई लूटने का।
'अग्निपथ भर्ती योजना':
आजाद भारत में पहली बार ऐसा हुआ कि बहाली के किसी योजना को नौजवानों के भारी आक्रोश का सामना करना पड़ा। 14 जून को मोदी सरकार ने सेना में 4 साल के लिए ठेके पर जवानों की भर्ती योजना की घोषणा कर देश और नौजवानों के साथ बड़ा धोखा किया है। 17.5 से 21 साल के नौजवानों की 4 साल के लिए ठेके पर भर्ती होगी और 4 साल में रिटायरमेंट दे दिया जाएगा। बहाल हुए जवानों के मात्र 25 प्रतिशत को स्थाई नौकरी दी जाएगी। बाकी नौजवान क्या जीवन भर बेरोजगार रहेंगे?
नौजवानों के तीखे विरोध के बाबजूद सरकार इसे वापस लेने को तैयार नहीं है। कृषि कानून की तरह ही सरकार यह कहकर अड़ी हुई है कि नौजवानों को इसके फायदे समझ में नहीं आ रहे हैं। इंकलाबी नौजवान सभा इसे वापस लेने के लिए आंदोलन को तेज करेगी।
प्रतियोगी परीक्षाओं में धाँधली:
पेपर लीक व आरक्षण में घोटाले इन दिनों प्रतियोगी परीक्षाओं की पहचान बन गए हैं। शायद ही कोई परीक्षा हो जिसका पेपर लीक न हुआ हो या उसमें किसी तरह की धाँधली न हुई हो। उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक बहाली में आरक्षण घोटाला हुआ। इसके खिलाफ करीब एक साल तक चले आंदोलन के बावजूद भी सरकार ने इसकी जाँच नहीं कराई, पश्चिम बंगाल में एसएससी बहाली में बड़े पैमाने पर धाँधली हुई। दो साल से अधिक समय से अभ्यर्थियों का आंदोलन चल रहा है लेकिन सरकार की तरफ से इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। बिहार व उत्तर प्रदेश में एसएससी, शिक्षक बहाली से लेकर दरोगा तक की परीक्षाओं में धाँधली, राजस्थान में शिक्षक पात्रता परीक्षा में धाँधली, झारखंड के जेपीएससी में धाँधली हुई है। धाँधली ही अब सरकारों की पहचान बन गई है। आज के समय में देशभर में प्रतियोगी परीक्षाओं में धाँधली आम बात हो गई है जो नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ के अलावा और कुछ नहीं है।
एक तरफ रोजगार के अवसरों का खत्म होते जाना और दूसरी तरफ जो थोड़े बहुत अवसर बचे हैं उसमें भी बड़े पैमाने पर धाँधली नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ है। आरवाईए आंदोलन की माँग रही है कि प्रतियोगी परीक्षाओं का बहाली कैलेंडर जारी किया जाय ताकि एक समय सीमा के अंदर बहाली की प्रक्रिया पूरी हो सके।
सामाजिक न्याय का सवाल:
लंबे संघर्ष के बाद आरक्षण हासिल किया गया। हम जानते हैं कि आरक्षण सरकारी नौकरियों व संस्थानों में मिलता है. सरकार सरकारी नौकरियों व संस्थानों को खत्म करने पर आमादा है, जिसका साफ मतलब है कि अघोषित रूप से आरक्षण को खत्म किया जा रहा है।
महिला कामगारों के हालात:
तमाम कठिनाइयों से लड़ते हुए आज महिलाएं शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में सामने आ रही हैं लेकिन उनके अधिकारों को लेकर सरकार बेहद लापरवाह है। आशा, आंगनबाड़ी से लेकर विभिन्न सेक्टरों में महिला कामगारों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद कार्यस्थलों व अन्य संस्थानों में यौन उत्पीड़न के खिलाफ प्रभावी कमेटियां नदारद हैं। इसके उलट यह स्थिति है कि भाजपा व उनके अनुषांगिक संगठन महिलाओं की अभिव्यक्ति व उनकी आज़ादी को ही सीमित करना चाह रहे हैं। महिला अधिकारों, आज़ादी और बराबरी के लिए संघर्ष तेज़ करना होगा।
संविधान, लोकतंत्र, आजादी व भाईचारे पर हमले:
मोदी सरकार लगातार देश के संविधान को ताक पर रख कर विरोध की आवाजों व आम नागरिकों के अधिकारों को कुचल रही है। सरकार लोकतंत्र की संस्थाओं पर कब्जा जमाकर देश पर तानाशाही थोपने की कोशिश कर रही है। भारत की आजादी के आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि भारत का संविधान और आजादी के शहीदों/ आंदोलनकारियों द्वारा नए समतामूलक, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी हिंदुस्तान का सपना था। आज उन सपनों की हत्या की जा रही है। सरकार देश के नागरिकों व नौजवानों के जरूरी सवालों का जवाब देने की बजाय नफरत का कारोबार चला कर देश के भाईचारे पर प्रहार कर रही है।
रोजगार के वादे और हकीकत:
2014 में नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि सरकार में आएंगे तो हर साल 2 करोड़ नौजवानों को रोजगार देंगे। 8 साल बाद फिर 14 जून 2022 को प्रधानमंत्री मोदी ने वादा किया कि अगले 18 महीने में 10 लाख नौजवानों को रोजगार दिया जाएगा। रोजगार देने के जुमलों के बीच की सच्चाई यह है कि संसद में एक सवाल का जबाव देते हुए सरकार ने खुद स्वीकार किया की पिछले 8 साल में मात्र 7.2 लाख रोजगार ही सरकार दे पाई है जबकि 22 करोड़ नौजवानों ने इसके लिए आवेदन किया। हर साल 2 करोड़ रोजगार देने से लेकर अब 18 महीने में 10 लाख रोजगार देने का वादा चुनावी जुमला के अलावे कुछ नहीं है।
आइए, मोदी सरकार के इस जुमले व हमले के शासन के खिलाफ निर्णायक नौजवान आंदोलन खड़ा करने के लिए प्रतिबद्ध नौजवान संगठन इंकलाबी नौजवान सभा को मजबूत करें और झारखंड के पलामू में 10-11 सितंबर को होने वाले 7वें राष्ट्रीय सम्मेलन को सफल बनाएं।
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