मशाल जुलूस: बिहार में 70वीं बीपीएससी परीक्षा रद्द कर फिर से परीक्षा कराए सरकार
राज्य भर में मशाल जुलूस निकाल कर 3 जनवरी को मुख्यमंत्री घेराव में शामिल होने की अपील की गई!
बिहार में 70वीं बीपीएससी परीक्षा को रद्द करने और पेपर लीक जैसे गंभीर घोटालों पर रोक लगाने की मांग को लेकर राज्य के विभिन्न छात्र और युवा संगठनों ने आंदोलन तेज कर दिया है। आरवाईए (इंकलाबी नौजवान सभा), आइसा (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) और अन्य छात्र संगठनों ने 3 जनवरी को मुख्यमंत्री का घेराव करने का आह्वान किया है. इससे पूर्व 1 और 2 जनवरी को राज्यव्यापी मशाल जुलूस निकाल कर नौजवानों से मुख्यमंत्री घेराव में शामिल होने की अपील की.
3 जनवरी मुख्यमंत्री के घेराव के पूर्व संध्या पर पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, सहरसा सहित राज्य के विभिन्न जिलों में मशाल जुलूस निकाले गए। इन जुलूसों में छात्र-युवा संगठनों के प्रतिनिधियों और बड़ी संख्या में छात्रों ने हिस्सा लिया। पटना में वीरचंद पटेल पथ से शुरू हुआ मशाल जुलूस इनकम टैक्स गोलंबर पर समाप्त हुआ। इस दौरान छात्रों ने पुलिस दमन, लाठीचार्ज, और पानी की बौछारों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर हठधर्मिता और पुलिसिया दमन का आरोप लगाते हुए कहा कि जब तक परीक्षा रद्द नहीं की जाती और दोषियों को दंडित नहीं किया जाता, तब तक छात्रों को न्याय मिलना असंभव है। छात्र नेताओं ने लाठीचार्ज के दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की और सरकार से अपील की कि वह आंदोलनकारियों की आवाज दबाने की जगह उनकी मांगों को सुनें।
मुजफ्फरपुर के औराई में भदई बाजार से हरपुर चौक तक आरवाईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम के नेतृत्व में मशाल जुलूस निकाला गया। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार के छात्र-युवा संगठनों का यह आंदोलन सिर्फ 70वीं बीपीएससी परीक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह न्याय और पारदर्शिता के लिए एक व्यापक आंदोलन बन चुका है। सरकार तुरंत परीक्षा रद्द कर फिर से परीक्षा कराने की मांग की.
उन्होंने सरकार पर परीक्षा माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह घोटाला सिर्फ परीक्षा प्रणाली को नहीं, बल्कि राज्य के नौजवानों के भविष्य को भी कमजोर कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ न्याय का संघर्ष है और 3 जनवरी को मुख्यमंत्री घेराव के माध्यम से यह साफ संदेश दिया जाएगा कि अब नौजवान अन्याय सहन नहीं करेंगे।
दरभंगा में आरवाईए के राज्य सह सचिव संदीप चौधरी के नेतृत्व में मिर्जापुर चौक से मशाल जुलूस निकाला गया। उन्होंने छात्र-नौजवानों से अपील की कि वे एकजुट होकर 3 जनवरी को मुख्यमंत्री घेराव को सफल बनाएं। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ परीक्षा रद्द करने की मांग नहीं है, बल्कि यह एक बड़े बदलाव की लड़ाई है।
सहरसा में आरवाईए नेता कुंदन यादव के नेतृत्व में मशाल जुलूस निकाला गया। प्रदर्शनकारियों ने बिहार लोक सेवा आयोग और जदयू-भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलनकारियों को डराने-धमकाने और फर्जी मुकदमों में फंसाने का प्रयास कर रही है। यह बेहद निंदनीय और लोकतंत्र पर हमला है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह छात्रों की मांगों को तत्काल स्वीकार करे और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए।
समस्तीपुर में मशाल जुलूस को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ 70वीं बीपीएससी परीक्षा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह सरकार की हठधर्मिता, भ्रष्टाचार, और परीक्षा माफियाओं के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन बनेगा। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ छात्रों की नहीं, बल्कि पूरे बिहार के युवाओं की है, जो न्याय और पारदर्शिता की उम्मीद कर रहे हैं।
आरवाईए और आइसा के नेताओं ने स्पष्ट किया कि 3 जनवरी को मुख्यमंत्री घेराव के माध्सेयम से सरकार को यह संदेश दिया जाएगा कि छात्र-युवाओं की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे रहती है, तो आंदोलन और तेज होगा।
मशाल जुलूस के माध्यम से छात्र- युवा संगठनों ने राज्यभर में यह संदेश दिया है कि वे किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष बिहार के युवाओं के भविष्य की लड़ाई है, और इसे सफल बनाना हर छात्र और युवा की जिम्मेदारी है।
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