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बिहार में स्मार्ट मीटर के खिलाफ, 200 यूनिट मुफ्त बिजली की मांग पर जोरदार आंदोलन


बिहार में बिजली के स्मार्ट मीटर के खिलाफ और 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने की मांग को लेकर इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के आह्वान पर 12 सितंबर को राज्यभर में जोरदार आंदोलन हुआ। इस आंदोलन में अलग-अलग जिलों में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया, जिसमें नौजवानो के अलावे किसान, मजदूर, महिलाएं और आम नागरिकों ने भी बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया।

बिहार के लगभग सभी प्रमुख शहरों और कस्बों में बड़े पैमाने पर बिजली कंपनी के दफ्तरों पर विरोध प्रदर्शन किए गए एवं बिजली विभाग के अधिकारियों को मांग पत्र सौंपा गया आंदोलन का मुख्य मांग बिजली दरों में बढ़ोतरी को रोकने, स्मार्ट मीटर हटाने और हर परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने, पंचायत और वार्ड स्तर पर कैंप लगाकर शिकायतों का निवारण करने, जर्जर तार ट्रांसफार्मर और बिजली के खम्भो का समय-समय पर मेंटेनेंस करने सहित अन्य मांगे शामिल थी.


प्रदर्शन के दौरान आरवाईए नेताओं ने कहा कि स्मार्ट मीटर के के कारण लोगों के बिजली के बिल अचानक से बढ़ गए हैं और यह बिना उचित जांच-पड़ताल के हो रहा है। स्मार्ट मीटर में गड़बड़ी की वजह से कई उपभोक्ताओं को ऐसी खपत दिखा दी जाती है, जो वास्तव में उन्होंने की ही नहीं होती। इससे न केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग प्रभावित हो रहा है, बल्कि यह मध्यम वर्ग के लोगों को भी मुश्किलों में डाल रहा है.

इसके अलावा, सरकार और बिजली कंपनियां स्मार्ट मीटर के फायदे गिनाने में लगी हैं, लेकिन इनसे होने वाली समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जब जनता पर अचानक से अत्यधिक बिजली के बिल थोपे जाते हैं, तो यह केवल एक आर्थिक समस्या नहीं, बल्कि यह उनके जीवनयापन पर एक गंभीर संकट पैदा कर दिया है.

बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य होने के बावजूद यहां अन्य विकसित राज्यों के तुलना में बिजली दर बहुत महंगा है. इतनी महंगी बिजली दर का भुगतान करने के बाद भी लोगों को नियमित रूप से 24 घंटे बिजली नहीं मिलती. जरा सी हवा  और बारिश आने पर कई दिनों तक बिजली गायब रहती है।

आगे नेताओं ने कहा जिस वक्त 100 वाट्स का बल्ब उपयोग में था उस समय मात्र 150-300 रुपए बिल आती थी. अब जब 9-10 वाट्स के एलईडी बल्ब का जमाना है तो बिजली बिल घटने के बजाय कई गुना और बढ़ गई है.

बिहार के गरीब- गुरबे इतनी महंगी बिजली बिल चुकाने के स्थिति में नहीं है. खुद बिहार सरकार के 2024 के जनगणना की रिपोर्ट है की बिहार में 95 लाख यानी 35% परिवार की मासिक आय 6000 रुपए से भी कम है ऐसी स्थिति में लोग इतना महंगी बिजली और फर्जी बिल का भुगतान कैसे करेंगे? भुगतान न कर पाने की स्थिति में बिजली कंपनी विभिन्न तरीके से इन्हें प्रताड़ित करती है, कनेक्शन काट दिया जाता है, कई गुना ब्याज लगा दिया जाता है, इससे भी मन नहीं भरता तो मुकदमा भी दर्ज किया जाता है। बिजली कंपनियों के द्वारा जनता के साथ हो रहे इस अन्याय पर बिहार की नीतीश - मोदी सरकार मौन धारण कर इस लूट की हिस्सेदार बनी हुई है जो घोर निंदनीय है।

इसलिए आरवाईए दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक, झारखंड जैसे राज्यों की तर्ज पर हर परिवार को प्रति माह 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाने की मांग कर रही है और पूरी तरह से न्यायसंगत मांग है क्योंकि यह हमारे प्रदेश के गरीब और मजदूर वर्ग को राहत देगा। आज जब महंगाई बढ़ती जा रही है, पेट्रोल, डीजल, और खाद्य पदार्थों की कीमतें आसमान छू रही हैं, ऐसे में सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह जनता को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करे।

क्योंकि आज बिजली हमारे जीवन का एक अनिवार्य अंग बन चुकी है। चाहे वह हमारे घरों में रोशनी करने के लिए हो, बच्चों की पढ़ाई के लिए, या हमारे छोटे-मोटे कामधंधों के लिए—हर जगह बिजली की आवश्यकता होती है।

आरवाईए के प्रमुख नेताओं ने बताया कि इस आंदोलन के बाद बिहार के विभिन्न गांवों में ग्रामीणों द्वारा स्मार्ट मीटर के खिलाफ स्वतः स्फूर्त रूप से आंदोलन शुरू कर दिया गया है बिहार के कई हिस्सों में स्मार्ट मीटर और बिजली बिलों के बढ़ते बोझ के खिलाफ जनता आवाज उठा रही है और आरवाईए इस सवाल पर मजबूती के साथ लड़ रहा है। हमारा संगठन तब तक आंदोलन जारी रखेगा जब तक स्मार्ट मीटर की बाध्यता समाप्त कर सभी लोगों के लिए 200 यूनिट बिजली मुफ़्त करने की घोषणा ना कर दी जाय.


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