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बिहार बंद का व्यापक असर, आन्दोलन को मिला आम लोगों से जोरदार समर्थन


बिहार बंद का व्यापक असर, आन्दोलन को मिला आम लोगों से जोरदार समर्थन

 
बिहार बंद का व्यापक असर, आन्दोलन को मिला आम लोगों से जोरदार समर्थन

आंदोलनकारी अभ्यर्थियों का दमन अभियान तत्काल बंद हो, मुकदमें वापस लो, नौजवानों को जेल से रिहा करो!

आरआरबी एनटीपीसी के पीटी रिजल्ट में पदों का 20 गुणा संशोधित रिजल्ट जारी करो!

ग्रुप डी में केवल एक परीक्षा के पुराने नोटिफिकेशन पर अमल करो !

छात्र संगठन आइसा व नौजवान संगठन इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) ने आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा के रिजल्ट में धांधली तथा ग्रुप डी की परीक्षा में एक की जगह दो परीक्षाएं आयोजित करने के तुगलकी फरमान के खिलाफ आज बिहार बन्द का आह्वान किया था , जिसका व्यापक असर रहा अहले सुबह ही छात्र सड़को पर उतर आए और नेशलन हाइवे , स्टेट हाइवे को पूरी तरह ठप कर दिया गया , बाजरे भी बन्द करवाई गई इस बन्द के वजह से पूरे बिहार रफ्तार थम सी गई आइसा-आरवाईए कार्यकर्ताओ ने राजधानी पटना, आरा,बक्सर, अरवल, नालन्दा, गया, गोपालगंज ,जहानाबाद ,सासाराम ,सिवान ,मुजफ्फरपुर , दरभंगा, समस्तीपुर ,बेगूसराय ,सहरसा ,सुपौल ,कटिहार और पूर्णिया सहित पूरे बिहार भर में जोरदार प्रदर्शन किया

इस अवसर पर आइसा - आरवाईए नेताओं ने कहा कि अभ्यर्थियों द्वारा उठाए जा रहे सभी सवाल जायज है ।
प्रत्येक साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली मोदी सरकार और 19 लाख रोजगार देने का वादा करने वाली नीतीश सरकार बताए कि उसने छात्र-युवाओं के लिए अबतक क्या किया है? रोजगार के नए सृजन की बजाए उसमें लगातार हो रही कटौती ने आज छात्र-युवाओं की जिंदगी व भविष्य को पूरी तरह से अधर में लटका दिया है. जिसके खिलाफ आइसा–आरवाईए हमेशा संघर्ष करते आई है।

छात्रा-युवा नेताओं ने कहा कि 2019 में रेल मंत्रालय द्वारा जारी 35281 पदों के लिए हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा का पीटी रिजल्ट 14 जनवरी 2022 को आया. पीटी के रिजल्ट में पदों के 20 गुना रिजल्ट जारी करने की बात थी. इस लिहाज से 7 लाख रिजल्ट आने चाहिए थे. रेलवे ने रिजल्ट भी इतना ही जारी किया, लेकिन इसमें तकरीबन 4 लाख रिजल्ट ऐसे हैं जिनमें कोई एक अभ्यर्थी दो से अधिक, यहां तक कि 7 पदों पर सफल हुआ है. इस तरह वास्तविकता में महज 2 लाख 76 हजार रिजल्ट ही जारी हुआ है. अभ्यर्थियों की मांग एकदम जायज है कि एक पद के लिए एक अभ्यर्थी का ही रिजल्ट देना चाहिए. इससे साफ प्रतीत होता है कि रेलवे ने जितनी वैकेंसी निकाली थी, उतनी बहाली नहीं कर रही है. अभ्यर्थी सरकार के इस खेल को समझ रहे हैं. यदि सरकार सचमुच अभ्यर्थियों की मांगों पर गंभीर होती तो इतने बड़े मसले पर रेल मंत्री खुद सामने आकर अभ्यर्थियों से तत्काल बात करते. लेकिन एक तरफ जांच कमिटी का झांसा है, तो दूसरी ओर बर्बर तरीके से हर जगह छात्र-युवाओं पर दमन अभियान भी चलाया जा रहा है. इससे सरकार की असली मंशा साफ-साफ जाहिर हो रही है.दूसरा मामला ग्रुप डी की परीक्षा की है. इसमें 1 लाख 3 हजार पदों पर बहाली होनी है, जिसपर तकरीबन 1 करोड़ आवेदन आए हैं. यह अपने आप में देश में बढ़ती बेरोजगारी की दर को दिखला रहा है, जहां ग्रुप डी के पदों के लिए भी भारी मारामारी है. पहले के नोटिफिकेशन में इस परीक्षा में केवल पीटी परीक्षा लेने की बात कही गई थी, लेकिन अब एक तुगलकी फरमान निकालकर दो परीक्षाओं को आयोजित करने की बात कही जा रही है. दरसल एक बहाली को चार वर्षों तक लटका कर रखना ,बीच- बीच मे सिलेबस बदल देना नई बहालियों का नहीं आना।यह सब इशारा कर रहा है की भारत सरकार अपने सभी सरकारी संस्थानों को एक - एक कर धड़ल्ले से बेच बेच देने की योजना बना रही है। सरकार का लक्ष्य है कि सभी संस्थानों को निजी हाथों में सौप दिया जाए। जब संस्थान निजी हाथ मे सौंप दिए जाएंगे तब ना ये संस्थान बचेंगे और ना ही बचेगी नौकरियां । इसलिए देश का छात्र-नौजवान रेल और उसमें अपनी नौकरी बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है, और आइसा-आरवाईए सरकार की असली मंशा को बेनकाब कर इस आंदोलन को और व्यापक बनाने का काम करेगी ।

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