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बिहार: नौजवान आन्दोलन से उपजा रोजगार का सवाल, मोदी व नीतीश सरकार को मिलेगा करारा जवाब


देशभर में बढ़ते बेरोजगारी के सवाल पर दिल्ली की सड़कों में नौजवानों का यंग इंडिया अधिकार मार्च

 
नरेन्द्र मोदी सरकार का पहला कार्यकाल पूरा होते-होते देश में बेरोजगारी महामारी की तरह फ़ैल चुकी थी. फ़रवरी 2019 में दिल्ली की सड़कों पर दसियों हज़ार नौजवानों ने यंग इंडिया अधिकार मार्च निकाला था जिसमें 80 से ज्यादा संगठनों ने भाग लिया था. आरवाईए इस आन्दोलन में प्रमुख घटक था. देशभर में बेरोजगारी एक राजनीतिक सवाल बनकर उभरा लेकिन मोदी सरकार राष्ट्रवादी-सांप्रदायिक उन्माद के सहारे सत्ता पर दुबारा काबिज होने में कामयाब रही.

लोकसभा चुनाव के अगले साल ही बिहार में भी विधानसभा का चुनाव था जिसमें विपक्षी महागठबंधन ने सरकार में आने पर नौजवानों को दस लाख रोजगार देने का वादा किया. इसके दबाव में एनडीए ने भी 19 लाख रोजगार देने का वादा किया. चुनाव संपन्न हुआ और एनडीए की सरकार बिहार में बनी.   

“19 लाख रोजगार, मांग रहा युवा बिहार!” के नारे के साथ बिहार में आरवाईए का विधानसभा घेराव


नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनते ही आरवाईए ने रोजगार के सवाल को हाथो हाथ लिया और “19 लाख रोजगार, मांग रहा युवा बिहार!” के नारे के साथ आन्दोलन के मैदान में कूद गया. राज्य भर में इन नारों के साथ बैठकें होने लगी. पूरे एक महीने तक राज्य के सभी जिलों में यात्राएं की गई और 1 मार्च 2021 को विधानसभा मार्च किया जिस पर सरकार ने लाठियां चलवाई, वाटर केनन व टीयर गैस के गोले बरसाए. इसके बाद तो बिहार में रोजगार के सवाल पर आन्दोलन की बाढ़ सी आ गई. अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थियों ने आन्दोलन करना शुरू किया. आरवाईए के नेतृत्व में इन आंदोलनों का एक संयुक्त मोर्चा बनाया गया और आन्दोलन जोर पकड़ने लगा.   

रोजगार पर सरकार के वादाखिलाफी को लेकर नौजवानों में गुस्सा बढ़ता जा रहा था व राज्य भर में रोजगार व बहाली के लिए संघर्ष कर रहे युवा अभ्यर्थियों के अलग-अलग मोर्चे आन्दोलन कर रहे थे. ऐसे में आरवाईए ने इन अलग-अलग समूहों को ‘रोजगार संघर्ष संयुक्त मोर्चा’ के बैनर तले एकजुट करते हुए 1 मार्च 2022 को पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर के खुला सभागार में '19 लाख रोजगार दो - वर्ना गद्दी छोड़ दो' के नारे के साथ सम्मानजनक रोजगार और न्यायपूर्ण बहाली के लिए 'रोजगार अधिकार महासम्मेलन' का आयोजन किया। इस रोजगार अधिकार महासम्मेलन में मुख्य रूप से एसटेट 2019, सांख्यिकी स्वयंसेवक, अनियोजित कार्यपालक सहायक, सीटेट-बीटेट, बीएसएससी 2014, एसटेट 2011-12, पारा मेडिकल, फार्मासिस्ट, सुधा डेयरी, रेलवे-लाइब्रेरी बहाली के अभ्यर्थी, आईटीआई अनुदेशक, सिपाही बहाली 2009, ललित कला शिक्षक भर्ती आदि के अभ्यर्थी शामिल हुए.
इसके साथ-साथ रेलवे के निजीकरण पर रोक लगाने, रेलवे कैलेंडर जारी करने, रेलवे में समाप्त किए जा रहे सभी पदों को जोड़ते हुए सभी रिक्त पदों पर अविलंब बहाली की मांग पर 14 मार्च को रेलवे परिसर में धरना दिया गया.

अगस्त 2022 में बिहार में सरकार बदल गई. राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ आ गए और नई सरकार का गठन हुआ. नई सरकार बनने के साथ ही महागठबंधन पर अपने वादे के अनुसार नौजवानों को रोजगार देने के लिए आरवाईए ने दबाव बनाना शुरू किया.

नई सरकार में शामिल भाकपा माले के विधायकों द्वारा सदन में रोजगार के सवाल को हमेशा प्रमुखता से उठाया जाता रहा. 2023 का साल नौजवानों के लिए रोजगार का साल रहा. राज्य में 2 लाख से अधिक युवाओं को शिक्षक की नौकरी मिली. रिकार्ड समय में नौकरी की प्रक्रिया पूरी कर एक सकारात्मक माहौल का निर्माण हुआ है. प्राथमिक विद्यालयों से लेकर +2 विद्यालयों में यह नियुक्ति हुई है.

एक बार फिर बिहार के नौजवानों के आकांक्षाओं को कुचल कर नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी है. रोजगार का सवाल अभी भी बना हुआ है और आरवाईए अभी भी आन्दोलन के मोड में है. यह आन्दोलन आगे भी जारी रहेगा और आंदोलनों की एकता बेरोजगारी की महामारी लाने वाली मोदी सरकार और बिहार की एनडीए सरकार को चैन की सांस लेने नहीं देगा. आने वाले चुनाव में भी यह प्रमुख सवाल होगा और सरकार को करारा जवाब मिलेगा.

- तारिक़ अनवर

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