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बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 132वीं जयंती पर इंकलाबी नौजवान सभा ने देश भर में सांप्रदायिक उन्माद विरोधी दिवस मनाया।


बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 132वीं जयंती पर इंकलाबी नौजवान सभा ने देश भर में सांप्रदायिक उन्माद विरोधी दिवस मनाया।

 
बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 132वीं जयंती पर इंकलाबी नौजवान सभा ने देश भर में सांप्रदायिक उन्माद विरोधी दिवस मनाया।

सांप्रदायिक उन्माद के खिलाफ नौजवानों की एकता और प्रतिरोध को आगे बढ़ाओ व आजादी, संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की हिफाजत के लिए नौजवान आगे आओ के आह्वान के साथ ये कार्यक्रम आयोजित हुए।
सांप्रदायिक उन्माद विरोधी दिवस बिहार के बेगुसराय, समस्तीपुर, नालंदा जिले के हरनौत व हिलसा, अरवल, पटना के पालीगंज में मनाया गया।

वहीं झारखंड के गिरिडीह जिले के बगोदर, बेंगाबाद व सरिया, पलामू के छतरपुर में कार्यक्रम आयोजित हुए।
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद विश्वविद्यालय, गोरखपुर, महाराजगंज के सिसवा, चैनपुर में कार्यक्रम किया गया।
वहीं आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम, असम के जोरहाट व हरियाणा के रतिया में इस मौके पर सांप्रदायिक उन्माद विरोधी दिवस मनाया गया।

इस मौके पर आरवाईए ने बाबा साहब के विचारों व संघर्षों को याद करते हुए उनसे प्रेरणा लेकर आज के समय की चुनौतियों का मुकाबला करने का संकल्प लिया.

बाबा साहब के विचार आजादी के 75 साल बाद भी नौजवानों  के लिए उर्जा व प्रेरणा का श्रोत बना हुआ है. आज जब नौजवानों के सपनों कर संगठित रूप से सरकारी हमले हो रहे हैं तब बाबा साहब के विचार और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाता है. 
आज देश भर में संगठित रूप से सांप्रदायिक उन्माद फैलाया जा रहा है. धर्म के नाम पर दंगे भड़काए जा रहे हैं हिन्दू त्योहारों को दंगे भड़काने में इस्तेमाल किया जा रहा है. डॉ. अम्बेडकर ने भी इस खतरे को भांपते हुए ‘पाकिस्तान या भारत-विभाजन 1945’ लेख में लिखा था “अगर हिंदू राज एक हकीकत बन गया तो निसंदेह यह इस मुल्क के लिए सबसे बड़ी विपत्ति होगा। यह स्वतंत्रता, समता और भाईचारे के लिए खतरा है। इस लिए यह लोकतंत्र के साथ चलने में अक्षम है। हिंदू राज को किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए।”

संविधान के बुनियादी मूल्यों आजादी, लोकतंत्र और सामाजित न्याय का गला घोंटा जा रहा है। देश में भाजपा और दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा अभी हाल में सम्पन्न हुए रामनवमी में जिस तरह की हिंसा और आक्रमकता का प्रदर्शन किया गया, यह खतरनाक है। देश के लाखों-लाख नौजवानों को रोजगार देने में विफल मोदी सरकार उन्हें उन्माद और उत्पात में झोंक रही है। अभी रामनवमी के मौके पर बंगाल और बिहार के नालंदा व सासाराम में हुई हिंसा इसकी बानगी है।

पश्चिमी उत्तरप्रदेश के बागपत में एक सभा को संबोधित करते हुए आरवाईए के राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार ने कहा कि आजादी आंदोलन की बड़ी उपलब्धियों में से एक, डॉ अम्बेडकर के नेतृत्व में लिखा गया भारत का संविधान, जो हमें शिक्षित होने, संगठित होने और संघर्ष करने का अधिकार देता है, मोदी सरकार इसे हमसे छीनने की हर रोज साजिश कर रही है. संविधान को मनुस्मृति से रिप्लेस करना चाह रही है.  

आज डॉ अम्बेडकर की जयंती के मौके पर हमें मिलकर संविधान की हिफाजत करने का संकल्प लेना होगा. 
नौजवान जो बेहतर जिंदगी का सपना देखते हैं, को बुजदिल व कायर बनाने का अभियान जोरों पर है. नौजवानों को दंगा-फसाद में हथियार के रूप में इस्तेमाल कर उनकी जिन्दगियों को तबाह किया जा रहा है. 

देश को साम्प्रदायिक उन्माद में झोंकने के लिए पूरे तंत्र को काम पर लगा दिया गया है. रोजगार चाहने वाले नौजवानों के हाथ में तलवार थमा कर मस्जिद का रास्ता व मुसलमानों की बस्तियां दिखाने वाले इन भगवा ताकतों की साजिश को समझना होगा और इसे नाकाम करना होगा. डॉ. अम्बेडकर आज हमारे बीच होते तो इस उत्पाती-उन्मादी निजाम के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे होते.
ऐसे समय में बाबा साहेब की विरासत को आगे बढ़ाने वाले संगठन के बतौर आरवाईए देश के नौजवानों से सांप्रदायिक उन्माद के खिलाफ एकता और प्रतिरोध को आगे बढ़ाने व आजादी, संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की हिफाजत के लिए आगे आने की अपील करता है.

-तारिक अनवर 

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