देशभर से छात्र-युवाओं ने दिल्ली में जुट कर मोदी सरकार से दस साल का हिसाब लेने और चुनाव में सबक सिखाने का लिया संकल्प.
यंग इंडिया रैली में देशभर से जुटे छात्र-नौजवान.
युवाओं ने 2024 के आम चुनाव के लिए स्पष्ट आह्वान किया है कि "शिक्षा और रोजगार चाहिए, नफरत का बाजार नहीं"!
दिल्ली में धारा 144 लागू कर भले ही मोदी सरकार ने पूरी बेशर्मी के साथ दमन करने का फैसला किया हो, लेकिन यंग इंडिया ने दिखा दिया है कि वे सत्ता का किसी भी तरह के दमन से डर कर घर बैठने वाले नहीं हैं. ऐसा ही हुआ और देश भर से छात्र-नौजवान दिल्ली में जुटे और सरकार से दस साल का हिसाब माँगा. छात्र और युवा 28 फ़रवरी को दिल्ली में यंग इंडिया चार्टर घोषित करने के लिए एकत्र हुए। दिल्ली पुलिस के तानाशाही फरमानों के बावजूद यंग इंडिया ने दिल्ली में रैली की और नफरत की राजनीति के खिलाफ जबरदस्त आवाज बुलंद की.
यंग इंडिया रैली को संबोधित करते हुए आरवाईए के राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार ने कहा कि आज जिस देश की राजधानी में किसी को भी अपनी आवाज उठाने की इजाजत नहीं है, विरोध की हर एक आवाज को कुचल देने पर सरकार अमादा है उसे ‘मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी’ कहा जा रहा है. मोदी शासन की लाठी जिस पीढ़ी के पीठ पर सबसे ज्यादा जोर से पड़ी है उसे अमृतपीढ़ी और उस काल को अमृतकाल कहा जा रहा.
सत्ता में आने पर हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली भाजपा अब रोजगार का नाम भी नहीं लेती. इनके वादे के हिसाब से दस साल में 20 करोड़ नौजवानों को रोजगार मिल जाना चाहिए था लेकिन नए रोजगार देने की बात तो दूर, पहले से 30 लाख खाली पदों को भी भरने में इन्होने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. पहले से मौजूद रोजगार के अवसरों को भी नीलाम किया जा रहा है. सरकारी कंपनियों/ संस्थानों को बेच कर रोजगार के अवसरों को ठेका-पट्टा पर कर देने की कवायद जोरो पर है. रेलवे को बेचा जा रहा है, कहीं स्टेशन बेचा जा रहा है, कहीं ट्रेने बेची जा रही है, रूट बेचे जा रहे हैं, स्टेडियम और स्कूल बेचे जा रहे हैं. 100 से अधिक सरकारी कंपनियों के कुछ ना कुछ शेयर बेचे गए. इसीलिए हमने नौजवानों के बीच जाकर इस सरकार के दस साल का हिसाब लेने के लिए नौजवानों को संगठित करने का फैसला लिया और देश भर के 100 जिलों में जनमत संग्रह कराया जिसमें 3 लाख 70 हजार नौजवानों ने भाग लिया और 83 प्रतिशत ने मोदी सरकार के दस साल को रिजेक्ट किया. हम उन्हीं आवाजों को लेकर दिल्ली की सड़कों पर हैं.
कुछ महीनों में देश चुनाव में जायेगा, हम छात्रों-नौजवानों की यह जिम्मेदारी है कि चुनाव में जब वो हमारे गांवों में, टोले-मोहल्ले में आएँगे तो हम उनसे दस साल का हिसाब जरूर मांगे. साथ ही साथ वो नौजवानों को बरगलाने की भी कोशिश करेंगे, हमें सावधान रहना होगा, वो अपनी नाकामी को ढकने के लिए नफरत का कारोबार तेज करेंगे, दंगा-फसाद की खेती शुरू करेंगे लेकिन हमें दस साल के शासन का हिसाब लेना है. इन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाना है, देश को बचाना है, संविधान-लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को बचाना है.
बिहार के भाकपा-माले विधायक संदीप सौरव ने कहा कि आज यह सम्मेलन ऐसे समय से हो रहा है जब देश चुनाव में जा रहा है और मोदी सरकार अपने दस साल के शासन पर बात करना नहीं चाह रही है. इसलिए आज का यह प्रोग्राम खास मायने रखता है. युवा भारत शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय के लिए आवाज उठा रहा है, जबकि सरकार खरीद-फरोख्त और ईवीएम हैकिंग में व्यस्त है। इस सरकार ने आम जन के सामने खुद को उजागर कर दिया है. आज बिहार में हमारे आन्दोलन का परिणाम है कि रोजगार ही वहां के चुनाव का एजेंडा होगा भाजपा चाहे जितना भी जोर नफरत फ़ैलाने में लगा ले.
नई शिक्षा नीति लाकर सरकार ने छात्रों को शिक्षा से बेदखल करने का प्रयास किया. बेतहाशा फीस वृद्धि हुई है. चार साल का कोर्स लाया गया है जिससे छात्र पढ़ाई पूरी करने से पहले ही संस्थानों से बाहर हो जाएँगे. रोजगार पर हमले लगातार जारी है, सुविधाओं का निजीकरण कर आम लोगों की जिंदगियों को संकट में डाला जा रहा है. रेलवे सबसे ज्यादा नौकरी देने वाला सेक्टर था. लाखों की बहाली जहाँ होती थी, वहां मात्र 5500 की बहाली निकाली गई. अगर शिक्षा और रोजगार को बचाना है तो छात्र-नौजवान को संगठित होकर इस मोदी सरकार को आने वाले चुनाव में सत्ता से बेदखल करना होगा.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि इस तरह की पहलकदमी के लिए आयोजको का धन्यवाद करना चाहते हैं. आज देश में सारे संस्थाओं की स्वायत्ता को ख़त्म किया जा रहा है. शैक्षणिक संस्थानों को ख़त्म करके शिक्षा का भगवाकरण किया जा रहा है. आज यूनिवर्सिटी में क्रिटिकल सोच को ख़त्म करके सिर्फ प्रोपगेंडा की जगह बना देना चाहते हैं. इस देश में जो भी आन्दोलन हुए हैं उसकी अगुआई युवा ने ही किया है चाहे वो जयप्रकाश नारायण का आन्दोलन हो या भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन हो. आज इस देश में लोकतंत्र को कुचला जा रहा है, साम्प्रदायिकता फैलाई जा रही है. आज बेरोजगारी इस कदर बढ़ गई है कि युवाओं को इसके खिलाफ आन्दोलन के मैदान में कूद जाना चाहिए. यह मांग करने की जरूरत है कि रोजगार का कानून बनाया जाय, बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता मिलना चाहिए. देश भर में सरकारी संस्थानों में एक करोड़ पद खाली हैं. इसकी भर्ती 6 महीने के अन्दर करने की मांग करनी चाहिए. देश में नेचुरल रिसोर्सेस का कभी निजीकरण नहीं करना चाहिए सरकार उनको भी निजी हाथों में दे रही है. शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंक जैसे संस्थान का निजीकरण नहीं होना चाहिए, इसकी मांग भी नौजवानों को उठाना चाहिए. सरकारी सेक्टर में आज परमानेंट पदों को ठेके पर किए जा रहे हैं. इसलिए नौजवानों को रोजगार के लिए बड़े आन्दोलन की तैयारी करनी चाहिए.
इस यंग इंडिया में शामिल राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवल किशोर ने कहा कि बिहार फासीवादी हमले को चुनौती देने का रास्ता दिखा रहा है और हमें उम्मीद है कि इसी तरह 2024 के चुनाव में देश रास्ता देखेगा। मोदी से पहले जब भाजपा की सरकार बनी तो इन्होंने पेंशन छीन लिया, दूसरी बार जब मोदी की सरकार आई तो इन्होने रोजगार ही छीन लिया. बिहार ने जब-जब आवाज उठाया है तब-तब तानाशाही दूर भागा है. आज की लड़ाई को लड़ने के लिए युवाओं को आगे आने की जरूरत है. आज बिहार के नौजवान जाग चुके हैं, उन्होंने रोजगार को अपना एजेंडा बना लिया है, आने वाले चुनाव में इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे.
DUTA की पूर्व अध्यक्ष नंदिता नारायण ने कहा कि आज यंग इंडिया अपने अधिकारों और अपने सार्वजनिक संस्थानों के लिए खड़ा है और हमें फासीवादियों को सत्ता से बाहर करने के लिए इस एकजुट प्रयास को जारी रखना चाहिए। आज हमारे देश का भविष्य कहाँ जायेगा, यह 2024 का चुनाव तय करेगा, इसलिए हमें इसपर गंभीरता से विचार करना होगा. आज अगर सरकारी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया जाय तो देश की बड़ी आबादी शिक्षा से वंचित रह जाएगी. इलेक्टोरल बांड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है. आज देश को बचाने की जरूरत है, आप युवा ही देश के लीडर हो, आपको ही इस लड़ाई का नेतृत्व करना है.
स्वतंत्र पत्रकार नवीन कुमार ने कहा कि यंग इंडिया वह एकता दिखा रहा है जिससे बीजेपी डरती है। पूरे देश में युवा नफरत की राजनीति को खारिज कर रहे हैं। आपकी रैली को जंतर-मंतर पर होने नहीं दिया गया क्योंकि यह हुकूमत आपसे डरती है. बगल में एक पांच सितारा होटल जैसी ईमारत दिखी, पूछने पर पता चला यह भाजपा का दफ्तर है जहाँ से बैठ कर यह हुकूमत आपके शिक्षा और रोजगार को छीन रहे हैं. उन सभी संस्थानों को ये बदनाम कर देना चाहते हैं जहाँ सोचने विचारने वाले लोग रहते हैं. वो नहीं चाहते हैं कि इन विश्वविद्यालयों में पढ़ कर देश का दलित, पिछड़ा, पसमांदा, महिलाएं और आदिवासी उनकी बराबरी में बैठ सके इसलिए इनको विश्वविद्यालयों से डर लगता है और इसपर ताला लगा देना चाहते हैं. इसलिए आज हमें इस बात को समझने की जरूरत है.
जनसभा में दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने कहा, अगर इस शासन ने 2024 में भी अपना शासन जारी रखा, तो हम शायद इस तरह की बैठकें भी नहीं कर पाएंगे। हमें एकजुट होकर लोकतंत्र पर इस हमले का विरोध करना होगा. मोदी सरकार ने देश के ऊपर तानाशाही थोप रखी है इसलिए युवाओं को सामने आना होगा और देश को बचाना होगा.
रैली को अन्य छात्र-युवा संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया.
इसी महीने के शुरुआती सप्ताह में पूरे देश में आयोजित विशाल यंग इंडिया जनमत संग्रह में युवाओं का बेहतर उत्साह देखने को मिला था, जब देश भर के अलग-अलग राज्य में 5 लाख छात्र-नौजवानों ने इस सरकार के खिलाफ वोट किया था। जाहिर है, इससे मोदी डरते और सभी आवाजों को दबाने की कोशिश करते। मोदी सरकार हॉर्सट्रेडिंग और राज्य की दमनकारी नीति के तहत किसानों, मजदूरों एवं युवाओं का दमन कर रही है। लेकिन अब छात्र-नौजवान एक साथ कह रहा है कि अब बहुत हुआ, अब और नहीं। इसका जीता जागता प्रमाण है आज का यंग इंडिया रैली.
यंग इंडिया रैली, विशाल किसान आंदोलन के प्रति एकजुटता और प्रदर्शनकारी किसानों की क्रूर हत्याओं की निंदा के साथ समाप्त हुई। साथ ही, घोषणा हुई कि आगामी आम चुनाव में छात्र युवा शिक्षा और रोजगार के मसले पर वोट करेंगे! नफरत और धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति को परास्त करेंगी.
इस रैली से संकल्प लिया गया कि आगामी लोकसभा चुनावों में फासीवादी भाजपा-आरएसएस को हराया जाए और यंग इंडिया के शिक्षा रोजगार के मुद्दे पर चुनाव में इसके खिलाफ अभियान चलाया जाएगा.
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