देश का सम्मान बढ़ाने वाली महिला पहलवानों के न्याय की लड़ाई के समर्थन में देश भर में आरवाईए ने निकाला प्रतिवाद मार्च.
देश का सम्मान बढ़ाने वाली महिला पहलवानों के न्याय की लड़ाई के समर्थन में देश भर में आरवाईए ने निकाला प्रतिवाद मार्च.
महिला पहलवानों के न्याय के सवाल पर आरवाईए ने निकाला देश भर में प्रतिवाद मार्च.
जंतर मंतर पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ महिला पहलवानों के चल रहे धरने के समर्थन में इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) ने देशव्यापी प्रतिवाद दिवस के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में प्रतिवाद मार्च निकलकर न्याय की मांग की.
इस मौके पर आरवाईए के नेताओं ने कहा कि 2016 में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान साक्षी मलिक, एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों की पदक विजेता विनेश फोगट, ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया और कई अन्य पहलवान जिन्होंने देश का गौरव और मान - सम्मान बढ़ाने के लिए अपना खून-पसीना बहाया है. अब ये पहलवान डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह द्वारा महिला खिलाड़ियों का किए गए यौन शौषण के खिलाफ न्याय की मांग कर रहे है तो मोदी सरकार इनपर दमन कर रही है जो निंदनीय है।
पिछले कई दिनों से देश की राजधानी में महिला पहलवान खुले आसमान के नीचे सड़क पर बैठे हुए हैं ये पहलवान न्याय के लिए दिल्ली की चिलचिलाती गर्मी का सामना कर रहे हैं। ये बहादुर पहलवान घोर उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना यहाँ तक कि अपने पूरे करियर को तबाह करने के जोखिम का सामना कर रहे हैं क्योंकि इन्होंने अब अन्याय को सहन करने से इनकार कर दिया है।
इसी साल जनवरी में भी ये पहलवान बृजभूषण के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर आए थे, तब उन्हें जांच और त्वरित कार्रवाई के झूठे आश्वासन पर मना लिया गया था. लेकिन आज तीन महीने बाद कोई कार्यवाही नही हुई. इस बीच बृजभूषण शरण कई राष्ट्रीय समाचार चैनलों में खुद पर लगे आरोपों के खिलाफ बड़े बेशर्मी से अपना बचाव करते नजर आ रहे थे जबकि जांच अभी भी लंबित था।
यही नहीं उन शिकायतकर्ता महिला पहलवानों को डब्ल्यूएफआई के भीतर काफ़ी प्रताड़ित किया गया उनकी कैरियर खत्म कर देने की धमकी दी गई. जांच कमेटी ने भी मामले की निष्पक्ष जांच करने के बजाय शिकायतकर्ता महिला पहलवानों का चित्रित हनन करने का काम किया।
ऐसी परिस्थिति में देश का हर नौजवान न्याय के लिए चल रहे इस संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है सात पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण करने का आरोप लगाया है इसमें एक नाबालिक महिला खिलाड़ी भी शामिल है।
लिखित शिकायत देने के बाद भी दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ एक एफआईआर तक दर्ज नहीं किया अंततः महिला पहलवानों को दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने पर बैठना पड़ा 6 दिनों तक दिन- रात चले धरने के बाद भी दिल्ली पुलिस ने इन फहलवानों की एफआईआर नहीं ली अंत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पोस्को एक्ट में दो मुकदमें दर्ज हुए. लेकिन आज कई दिन बीत जाने के बाद भी दिल्ली पुलिस ने ना तो बृजभूषण को गिरफ्तार किया ना पूछताछ किया इतना सब कुछ होने के बावजूद बृजभूषण अभी भी कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं।
सत्ता और ताकत के मद में चूर भाजपा इंसाफ की आवाज को दबाना चाहती है। इसलिए आज भाजपा और पूरा संघ परिवार देश का नाम रौशन करने वाले इन पहलवानों के खिलाफ आरोपी भाजपा सांसद के पक्ष में खड़ी हो गई है.
भाजपा शासित राज्यों में महिला यौन उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. हाथरस, उन्नाव से लेकर के चिन्मयानंद के मामले में हो या फिर बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई का पूरा प्रकरण हो भारतीय जनता पार्टी हमेशा यौन शोषण करने वालों के पक्ष में खड़ी नजर आती है।
ये पहलवान जो कुछ दिन पहले अपने पदकों के लिए सराहे जाते थे अब सार्वजनिक रूप से परेशान, प्रताड़ित और अपमानित किए जा रहे हैं। सिर्फ इसलिए कि उन्होंने इस अन्याय में मूकदर्शक बने रहने से इनकार कर दिया ? सिर्फ इसलिए कि उन्होंने न्याय मांगा? और यह सब किसलिए एक यौन उत्पीड़क को बचाने के लिए? क्योंकि वह सत्ताधारी दल भाजपा का एक सासंद है?
मोदी सरकार द्वारा बृजभूषण की खुल्लम-खुल्ला बचाव हमें उन्नाव के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का बचाव, कठुआ रेप का आरोपियों के बचाव, बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई की याद दिलाती है. ऐसा प्रतीत होता है कि "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" का ढोंग करने वाली मोदी सरकार ने 'बलात्कारी बचाओ' की कला में महारत हासिल कर ली है।
लेकिन आज पूरा देश इन पहलवानों के साथ मजबूती से खड़ा है और यह संदेश दे रहा है की भाजपा और उसके लोगों को लम्पटईे की छूट नहीं मिलेगी. उन्हें भी कानून का सामना करना पड़ेगा।
इस पूरे मामले में मोदी सरकार की दिल्ली पुलिस की भूमिका एकदम अमानवीय, क्रूर और शर्मनाक है दिल्ली पुलिस लगातार आंदोलनकारी खिलाड़ियों को प्रताड़ित कर रही है उन्हें डराया धमकाया जा रहा है धरना स्थल की बिजली काट दी जा रही है, पानी रोक दी जा रही है , पब्लिक टॉयलेट हटाएं जा रहे है. उनके परिजनों और मिडिया कर्मियों के साथ बदसलूकी की जा रही है. इतना ही नहीं इन पहलवानों के समर्थन में आवाज उठाने पर यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों के प्रदर्शनों पर पुलिस के हमले हो रहे हैं, उन्हे घंटो हिरासत में रखा जा रहा है, प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा छात्राओं के कपड़े तक फाड़ दिए जा रहे है. मोदी सरकार के इस तानाशाही रवैये की जितनी निंदा की जाए कम है।
इस देशव्यापी प्रतिवाद मार्च से आरवाईए महिला पहलवानों को न्याय देने, यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह को संसद की सदस्यता और कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद से बर्खास्त करने, अविलंब गिरफ्तार कर उचित कानूनी कारवाई करने, आंदोलनकारी महिला पहलवानों को पुलिस द्वारा प्रताड़ित करवाना बंद करने, मुकदमा दायर करने में देरी करने वाले पुलिस अधिकारियों पर करवाई करने की मांग की गई.
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