झारखंड में रिक्त पड़े 2 लाख 83 हजार स्वीकृत पदों पर अविलंब बहाली शुरू करे सरकार: आरवाइए
झारखंड में रिक्त पड़े 2 लाख 83 हजार स्वीकृत पदों पर अविलंब बहाली शुरू करे सरकार: आरवाइए
झारखंड में रिक्त पड़े 2 लाख 83 हजार स्वीकृत पदों पर अविलंब बहाली शुरू करने की मांग को लेकर आरवाईए झारखंड ने 20 मार्च को रांची में विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा के समक्ष के एकदिवसीय धरना दिया।
झारखंड आंदोलनकारी मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित धरने को संबोधित करते हुए आरवाईए राज्य अध्यक्ष संदीप जयसवाल ने कहा कि झारखंड के नौजवान नियुक्तियों के वर्ष की बाट जोह रहे हैं। 2021 नियुक्तियों का वर्ष होना था 2023 के बजट में भी नियुक्तियों की बात सरकार नहीं कर रही है। राज्य भर से नौजवान प्रतिनिधि आज विधानसभा के समक्ष धरने में शामिल हुए हैं। हम देख रहे हैं की नौजवानो को रोजगार के मुद्दे को लेकर सत्ता में आए हेमंत सरकार भी अभी तक कोई भी बहाली की घोषणा नहीं की है। हेमंत सरकार के कार्यकाल के 3 साल खत्म हो चुके हैं लेकिन पांच लाख नौकरियों का वादा जुमला ही साबित हुआ है. एक भी बहाली की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। नियोजन नियमावली के नाम पर हो रहे झामुमो और भाजपा के राजनीतिक उठापटक में झारखंडी नौजवानों के रोजगार के सपने मर रहे हैं। झारखंड प्रमुख खनिज संपदाओ के मामले में देश में 1 से 5 वें स्थान पर है। उद्योग के मामले में 10 वें स्थान पर है। इसके बावजूद राज्य में बेरोजगारी दर 16% से ज्यादा है। काम के लिए पलायन के मामले में दूसरे नंबर के राज्य बिहार से लगभग दुगना पलायन झारखंड से है। यह शर्मनाक स्थिति है। आरवाईए इस धरने के माध्यम से यह संदेश राज्य और केंद्र की सरकारों को देना चाहती है की झारखंड के नौजवान संघर्ष किए हैं और संघर्ष के लिए आगे भी तैयार है।
धरने को संबोधित करते हुए आरवाईए राज्य प्रभारी व भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य सह विधानसभा सदस्य कॉमरेड विनोद सिंह ने कहा की अनुबंधनकर्मियो का शोषण बहुत होता है, खास कर महिला श्रमिकों का। केंद्र रसोइया को मात्र 600₹ प्रति माह देते हैं। ऐसे में नई सरकार आई थी तो उम्मीद बढ़ा था। पर नियुक्तियों की स्थिति बहुत खराब है, राज्य सरकार दोहरी नियोजन नीति लेकर आई जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। अभी जो झारखंड में विपक्ष उछल रहा है, लग रहा है की यही एकमात्र झारखंड हितैषी हैं पर विधानसभा में पारित स्थानीय नीति का ये लोग राज्यपाल के जरिए विरोध कर रहे हैं। नौवीं अनुसूची, 1932 के सवाल को भाजपा के 12 सांसद उठाते तक नही हैं उल्टे इसके विरोध में अमित शाह बयान देते हैं। यह जो 60:40 का मुद्दा है, विधानसभा से ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया गया है। अगर इसे लागू करे केंद्र सरकार तो राज्य में 77 प्रतिशत आरक्षण लागू हो जायेगा। महिला आरक्षण का संघर्ष बहुत दिनों से जारी है, अगर यह आरक्षण भी लागू कर दें तो केंद्र में और हर राज्य में लगभग 80% आरक्षण लागू हो जायेगा। पर इनकी मंशा ना स्थानियों को उनकी हिस्सेदारी देने की है, ना ही रोजगार देने की। आरवाईए के साथियों पर यह जिम्मेवारी है की रोजगार के सवाल पर हर कस्बे, गांव, मुहल्ले में आंदोलन को संगठित करें और सरकार को मजबूर कर दें रोजगार देने के लिए।
धरने की अध्यक्षता राज्य अध्यक्ष संदीप जयसवाल ने किया। संचालन राज्य उपाध्यक्ष शिव सिंह ने किया। राज्य उपाध्यक्ष अखिलेश राज, राज्य सहसचिव जयबीर हंसदा, अविनाश रंजन केंद्रीय परिषद सदस्य सोनू पांडे, अशोक मिस्त्री, राजेश विश्वकर्मा, दिव्या भगत, राज्य कार्यकारिणी सदस्य सदस्य सीताराम पासवान, पुरन महतो राज्य परिषद सदस्य विक्रम आनंद राय, असगर अली, मनोज प्रजापति, कमरुद्दीन अंसारी, मुकेश यादव, राम कुमार भार्गव के साथ आइसा राज्य अध्यक्ष तरुण कुमार और राज्य सचिव त्रिलोकी नाथ ने धरने को संबोधित किया।
धरने के माध्यम से निम्न मांगों का ज्ञापन सौंपा गया:
1. राज्य में 4.66 लाख स्वीकृत पदों में केवल 1.79 लाख पर नियुक्ति, 2.87 लाख पद रिक्त हैं (स्त्रोत प्रभात खबर, 17 मार्च 2023, रांची) । रिक्त पदों पर अविलंब नोटिफिकेशन निकाल, बहाली की प्रक्रिया शुरू करें।
2. झारखंड के नौजवान सामाजिक–आर्थिक रूप से पिछड़े पृष्ठभूमि से आए हैं। ऐसे में रोजगार की तैयारी कर रहे नौजवानों को न्यूनतम तीन सालों के लिए मासिक बेरोजगारी भत्ता 10000 रुपए दिया जाए।
3. झारखंड आंदोलनकारी मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा, बिनोद बिहारी महतो, कॉमरेड एके राय, विस्थापन, पलायन और झारखंडी भौगौलिक स्थितियों के मद्देनजर बड़े कारखानों की जगह लघु उद्योगों, वनोत्पाद आधारित, ग्राम आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की मांग करते थें। जिसकी वकालत झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन भी करते थें। इन उद्योगों को बढ़ाने के लिए नौजवानों को ट्रेनिंग एवं वित्तीय मदद सुनिश्चित किया जाए।
4. अनुबंध पर काम कर रहे तमाम कर्मियों का शोषण हो रहा है। अनुबंधकर्मियों को नियमित करते हुए सम्मानजनक वेतन की गारंटी की जाए.
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