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उत्तरप्रदेश: वैकेंसी जीरो मौत सात, PET परीक्षा को मत बनाओ मौत का कारोबार


उत्तरप्रदेश: वैकेंसी जीरो मौत सात, PET परीक्षा को मत बनाओ मौत का कारोबार

 
उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग / UPSSSC (Uttar Pradesh Subordinate Services Selection Commission द्वारा PET (Preliminary Eligibility Test) की परीक्षा 15 व 16 अक्टूबर, 2022 को 04 पालियों में आयोजित हुआ। जिसमें कुल 37.50 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने  फार्म भरा था। 

अभ्यर्थियों जिन्होंने अपनी जानें गवाईं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और इस दुख की घड़ी में उनके परिजनों के साथ खड़े हैं।
 
अक्टूबर महीने में हुए इस परीक्षा ने कई संदेह पैदा किया। सवाल यह उठता है कि इन मौत का जिम्मेदार कौन है ?  इतनी बड़ी परीक्षा को आयोजित करने के लिए इस तरह की लापरवाही क्यों की गई? नकल रोकने के नाम पर सेंटर को इतना दूरदराज भेजा गया जबकि इस पूरी परीक्षा से एक भी नौकरी नहीं मिल रही है। यह सिर्फ क्वालीफाइंग परीक्षा है। जीरो (0 ) वैकेंसी सात (7) मौत। 
अगर आप मानते हैं कि इसमें सरकार की जिम्मेदारी नहीं है तो मुझे आपसे कुछ नहीं कहना। लेकिन अगर आप मानते हैं कि इसके लिए सरकार जिम्मेदार है तो निश्चय ही मांग करनी चाहिए कि सरकार मृत परिवार से माफी मांगे और मुआवजा के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी दे।  साथ ही साथ माफी उनसे भी मांगे जिनको परीक्षा के दौरान परेशानी झेलनी पड़ी और जिन की परीक्षा अव्यवस्था के कारण छूट गई।

अयोग्य घोषित करने वाली परीक्षा पर रोक लगे: सरकार लगातार यह घोषित करने में लगी है कि नौजवान अयोग्य हैं। हमारे पास रोजगार बहुत है। यह बात माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार दोहराया है। यह सिर्फ उत्तर प्रदेश के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ही बातें कही जा रही हैं जबकि सफाई का कार्य करने के लिए होने वाली परीक्षा में भी बीटेक, एमटेक, पीएचडी होल्डर परीक्षा देते हैं। इससे भयंकर बेरोजगारी उजागर होती है। लेकिन सरकार अपनी बात पर टिकी दिखाई देती है और यह खेल बदस्तूर जारी है। 

पीईटी और टीईटी की परीक्षा सिर्फ नौजवानों को अयोग्य घोषित करने के लिए ही आयोजित होती है। जो अभ्यर्थी यह परीक्षा पास नहीं कर पाते वे अगली परीक्षा का फार्म नहीं भर सकते। इस परीक्षा में कोई भी नौकरी नहीं मिलती यानि इस परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी को भी सिर्फ और सिर्फ अगली परीक्षा के लिए ही योग्य माना जाएगा। टेट परीक्षा के लिए योग्य अभ्यर्थी वही होता है जो बीएड, डीएलड, बीटीसी की डिग्री हासिल किया हुआ है। क्या इसका यह मतलब हुआ कि यह डिग्री हासिल करने से योग्यता प्राप्त नहीं होती ?

भ्रष्टाचार व पेपर लीक की समस्या परीक्षा केंद्र की दूरी बढ़ाने से हल नहीं होगी: उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में नौकरी देने वाली संस्थाओं में भ्रष्टाचार संगठित रूप ले लिया है। उत्तर प्रदेश की लगभग सभी परीक्षाओं में पेपर लीक व भ्रष्टाचार आम बात होती जा रही है। यूपीएसएसएससी द्वारा आयोजित लेखपाल की परीक्षा को रद्द करना पड़ा और 69000 शिक्षक भर्ती में पेपर लीक के चलते कई लोगों को जेल जाना पड़ा। आरक्षण घोटाला के सवाल पर अभी भी लड़ाई जारी है। सरकार स्वयं ही आरक्षण घोटाला को स्वीकार किया है। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (UPHESC) द्वारा आयोजित विज्ञापन संख्या 50 का परिणाम बिना भ्रष्टाचार के संभव नहीं है क्योंकि 100 प्रश्न का आयोग भी सही उत्तर नहीं दे पाता। गणित में 19 प्रश्न रद्द करने पड़े जिसमें 81 में 79 प्रश्न का उत्तर सही दिया गया। राजनीति विज्ञान  में टॉपर्स के 95 में से 92 प्रश्न सही है । आयोग द्वारा तीन प्रश्नों के उत्तर बदलने पर वही प्रश्न ही टॉपर के गलत कैसे हो सकते हैं जबकि करेक्शन के बाद 95 प्रश्न सही होने चाहिए थे, इसी प्रकार शिक्षाशास्त्र, समाजशास्त्र, गणित, बीएड, संस्कृत, भूगोल, भौतिकविज्ञान आदि विषय के परिणाम को नजर अंदाज नही किया जा सकता है। लिहाज इस मेरिट घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कराने की जरूरत है। ऐसी ही स्थिति यूपीएसआई के परिणाम में भी दिखाई देती है। जिसमें कई लोग गिरफ्तार करके जेल भी भेजे गए। आपको याद होगा 2016 में उत्तर प्रदेश सरकार ने दरोगा, पीएसी प्लाटून कमांडर और फायर फाइटिंग अधिकारियों के लिए 3307 पदों पर भर्ती निकाली थी. जिसकी परीक्षा जुलाई 2017 में होनी थी लेकिन परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो गया और राज्य सरकार को यह परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी. इसके बाद साल 2018 में यूपीएससी की एलटी ग्रेड की परीक्षा भी रद्द की गई थी. क्योंकि इस परीक्षा का हिंदी और सामाजिक विज्ञान का पेपर एग्जाम के 1 दिन पहले ही लीक हो गया था. इसी साल यूपीपीसीएल का भी पेपर लीक हो गया था. जिसके बाद परीक्षा को रद्द कर दिया गया. इस मामले में यूपी एसटीएफ ने 12 लोगों को गिरफ्तार किया था. साल 2018 में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के ही नलकूप चालक चयन परीक्षा का पेपर लीक हो गया था, जिसके बाद आयोग ने परीक्षा रद्द कर दी थी. ऐसे ही 2019 में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की लोअर सबोर्डिनेट परीक्षा को लेकर भी विवाद हुआ था, इस प्रतियोगी परीक्षा के भी पेपर लीक होने के साक्ष्य मिले थे, जिसके बाद इसे रद्द कर दिया गया था.
बेरोजगारों से खजाना भरना बंद करे सरकार: वैसे तो फार्म की फीस सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की बढ़ रही है। जिसका आकलन सभी परीक्षाओं के दौरान अभ्यर्थी करते हैं अभी हम दो परीक्षाओं में प्राप्त राशि के बारे में आपसे बात करेंगे पहला यूपीटेट और दूसरा यूपी पेट। इन दोनों परीक्षाओं के बाद कोई नौकरी नहीं मिलती है। यह सिर्फ पात्रता परीक्षा है। इस परीक्षा से पास अभ्यर्थी सिर्फ अगली परीक्षा के लिए योग्य माने जाएंगे। यूपी टीईटी में 21,65000 अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरा। इसमें जनरल ओबीसी की फीस ₹600 , SC-ST कैटेगरी की फीस ₹400 थी। 

फी के द्वारा इसमें प्राप्त आय का लगभग आकलन करने के लिए हम 2,165,000 अभ्यर्थियों में Gen+OBC अभ्यर्थी जो लगभग 75%होंगे। उनसे प्राप्त राशि ₹97,42,50000( (97 करोड़ 42 लाख 50 हजार) और, 165,000 अभ्यर्थियों में SC+ST अभ्यर्थी जो लगभग 25% होंगे। उनसे प्राप्त राशि ₹32,47,50000 (बत्तीस करोड़ सैंतालीस लाख पचास हजार). दोनों को जोड़कर 1,29,90,00000 (एक अरब उन्तीस करोड़ नब्बे लाख रुपए)। 

UP PET के लिए फार्म की फीस Gen और OBC के लिए ₹185 और SC- ST के लिए 80। कुल 37 लाख विद्यार्थियों ने फॉर्म भरे। इससे प्राप्त राशि लगभग ₹ 65,21,25000 (पैंसठ करोड़ इक्कीस लाख पच्चीस हजार रुपए)। 3700000अभ्यर्थियों में SC+ST अभ्यर्थी जो लगभग 25%होंगे। उनसे प्राप्त राशि ₹ 9,40,00000 (नौ करोड़ 40लाख रुपए) दोनों को जोड़कर 74,61,25000(चौहत्तर करोड़ इकसठ लाख पच्चीस हजार रुपए) इस परीक्षा की वैधत मात्र 1 साल की है। 
पेट (PET)+टेट (TET)  दोनों परीक्षा के अभ्यर्थियों के सिर्फ फार्म से प्राप्त फीस का आकलन करें तो 2,04,51,25000 (दो अरब चार करोड़ इक्कावन लाख पच्चीस हजार रुपए) सरकार के खजाने में गए।

सभी नौजवानों को रोजगार दिया जा सकता है:  एक तर्क बहुत ही प्रचारित प्रसारित है कि इतनी बड़ी जनसंख्या वाले देश में सभी को रोजगार कैसे दिया जा सकता है जबकि सच्चाई इसके उलट होनी चाहिए। जहां जनसंख्या अधिक है वहां शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, सड़क, परिवहन व सेवा के अन्य क्षेत्र में नौकरी देने या काम की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। लिहाजा अधिक जनसंख्या होने से सब कुछ की अधिक आवश्यकता होगी तो रोजगार अधिक पैदा होंगे। सवाल यहां यह आता है कि इतने अधिक लोगों को वेतन देने के लिए धन कहां से आएगा। यानि काम की कमी नहीं है समस्या संसाधन का है। तब हमें सरकार की नीतियों और विकास के मॉडल को समझना होगा। आज रोजगार विहीन विकास का मॉडल चल रहा है। नीतियां ऐसी है कि पैसे वाले और धनवान होते जा रहे हैं गरीब और गरीब। यह अंतर बहुत ही अधिक बढ़ गया है। अगर सर्वोच्च आय वाले 2% व्यक्तियों पर 2% टैक्स बढ़ा दिया जाए तो रोजगार का संकट लगभग हल हो जाएगा। इसको करने के लिए सरकार की स्पष्ट नीति और दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत होगी।

यह गलत है कि आंदोलन से कुछ नहीं होगा: इतिहास गवाह है कि बड़े बड़े बदलाव आंदोलन से ही संभव हुए हैं और वर्तमान दौर में यह और अधिक प्रासंगिक होता हुआ दिखाई दे रहा है। नौजवानों का एक बड़ा हिस्सा जो अन्य अन्य वजहों से सरकार का पक्षधर है। वह सरकार के खिलाफ बोलना नहीं चाहता। लिहाजा एक ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि आंदोलन से कुछ नहीं होता। वर्तमान दौर में सत्ता द्वारा दमन का चरित्र इस तरह से बदला है जो व्यक्तिगत स्तर पर टारगेट करके आगे बढ़ता हुआ दिख रहा है। 

नौजवानों का भविष्य या भविष्य की योजना: जिस दौर में सरकार नौजवानों को अयोग्य घोषित कर देने की साजिश रच रही है और नौजवानों को खुद अयोग्य मान लेने के लिए विवश कर रही है जबकि सच्चाई इसके उलट है इस पूरी परिस्थिति को ही तैयार करने के लिए टेट जैसी पेट जैसी परीक्षा आयोजित की जा रही है इस दौर में जब उच्चतर शिक्षा से लेकर प्राथमिक शिक्षा तक की नियुक्ति में भ्रष्टाचार और पेपर लीक होना आम बात हो गई हो उसके साथ ही साथ डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस के नाम पर अपने लोगों को ही नियुक्त देने की योजना बन गई हो, आईएएस में लेटरल इंट्री से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति आउटसोर्सिंग से होने लगी हो। सेना की नियुक्ति अग्निवीर के नाम पर ठेका प्रथा तो लागू कर दिया गया हो एसएससी बैंक रेलवे में मिल रही नौकरियों की हालत भी ऊपर कही गई समस्याओं से ग्रस्त हो सरकारी संस्थाओं को बेचने की दृष्टि से चल के लगातार नौकरियों की संख्या में कटौती साफ-साफ दिख रही है।

इस भयावह गला काट प्रतियोगिता में नौजवानों को बताया जा रहा है कि आपको सिर्फ 1 सीट चाहिए और आपको उसके लिए योग्य बनना होगा। कोचिंग की मकड़जाल में नौजवानों को फंसा दिया जा रहा है। सरकार ने  घोषित कर दिया है कि सभी नौजवानों को रोजगार नही दे सकती। उस दौर में हताश निराश होकर आत्महत्या करने तक की बात सोचने लेने वाले नौजवानों से यह अपील है कि सरकार नौजवानों को रोजगार भले ना दे सके लेकिन नौजवानों को सरकार को सत्ता से बाहर करने से नहीं रोका जा सकता है।  
हम नौजवानों को संगठित होकर एकजुटता के साथ अपनी आवाज बुलंद करने अलावे कोई दूसरा रास्ता नहीं है। नौजवानों को किसान आंदोलन से प्रेरणा लेते हुए सरकार के खिलाफ निर्णायक आंदोलन खड़ा करना होगा। निश्चय ही रोजगार की गारंटी करनी होगी या सरकार को जाना होगा।  

- सुनील मौर्य
(राज्य सचिव, आरवाईए उत्तरप्रदेश)

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