आर्थिक आधार पर EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण, संविधान की मूल भावना के खिलाफ है: आरवाईए
आर्थिक आधार पर EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण, संविधान की मूल भावना के खिलाफ है: आरवाईए
आर्थिक आधार पर EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण, संविधान की मूल भावना के खिलाफ है: आरवाईए
सुप्रीम कोर्ट को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए
मोदी सरकार ने 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10% आरक्षण का प्रावधान किया। सरकार ने यह फैसला आरक्षण व संविधान की मूल भावनाओं को दरकिनार करके किया और कोर्ट ने इसे वैध ठहराया।
आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन प्रोग्राम नहीं है बल्कि ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर धकेल दिए गए सामाजिक समूहों के लिए संस्थाओं में, शासन में व शैक्षणिक संस्थानों में न्यायपूर्ण भागीदारी का माध्यम है।
इसे अगर समय रहते ठीक नहीं किया गया तो यह देश के लिए एतिहासिक सामाजिक अन्याय साबित होगा। इसलिए आरवाईए मांग करता है की EWS आरक्षण को वैधता देने वाले फैसले पर पुनर्विचार किया जाए।
The Supreme Court's decision on EWS reservation on economic grounds is unfortunate, against the spirit of the Constitution: RYA
Supreme Court should reconsider the decision!
The Modi government passed provision of 10% reservation for the Economically Weaker Section (EWS) in 2019. The government took this decision by overriding the basic spirit of the constitution & reservation and the court upheld it.
Reservation is not a poverty alleviation program but a means for just representation in institutions, in governance and in educational institutions for historically marginalized social groups.
If it is not rectified in time, then it is going to be a historical social injustice for the nation. Therefore, RYA demands that upholding validity of EWS reservation be reconsidered.
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