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आरवाईए का “दस साल का हिसाब दो! नफरत नहीं जवाब दो!” अभियान.


आरवाईए के “दस साल का हिसाब दो! नफरत नहीं जवाब दो!” अभियान का हिस्सा बनें
 
नौजवान दोस्तों,
नियुक्ति पत्र देने का सपना दिखा कर नौजवानों को अक्षत-भभूत बाँटने में लगी हुई मोदी सरकार से दस साल का हिसाब मांगने का वक्त आ गया है. दस साल पहले 2014 में देश के नागरिकों को खास कर युवाओं को बेहतर भविष्य का सपना दिखा कर एक सरकार सत्ता में आई. यह सरकार अपना दूसरा कार्यकाल भी पूरा करने को है. ऐसे समय को हम युवा भारत को इस सरकार के दस साल के शासन का हिसाब-किताब करना जरूरी है. हम जानते हैं भारत युवा देश है और इसके तरक्की की जिम्मेदारी भी युवा भारत के कन्धों पर है इसलिए आइए मोदी सरकार के दस साल के शासन का मूल्यांकन करते हैं.

रोजगार के वादे और हकीकत: 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नौजवानों से वादा किया था कि हमारी सरकार बनने पर नौजवानों को हर साल दो करोड़ रोजगार दिया जाएगा. इस वादे के हिसाब से पिछले दस सालों में 20 करोड़ नौजवानों को रोजगार मिल जाना चाहिए था. इस वादे की सच्चाई तो यह है कि पहले से सृजित 60 लाख नौकरियों के पद खाली हैं, नए पद सृजित करने की बात तो दूर पहले से मौजूद नौकरियों को भी लाखों की संख्या में ख़त्म ही कर दिया गया. सेना के अलग-अलग संस्थानों में हर साल 40 हजार नौजवानों को रोजगार मिलता था, उसे अग्निपथ योजना लाकर 4 साल के लिए ठेका-पट्टा पर कर नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है. रेलवे इन दिनों दुर्घटना का शिकार हो रहा है, उसमें 1 लाख 40 हजार सुरक्षा स्टाफ के पद खाली हैं. लगातार भारतीय रेलवे को बेचा जा रहा है- ट्रेनें बेचीं जा रही हैं, स्टेशन बेचे जा रहे हैं, प्लेटफार्म बेचे जा रहे हैं, रूट बेचे जा रहे हैं, हॉस्पिटल, स्टेडियम और स्कूल बेचे जा रहे हैं. देश में पिछले 70 सालों में रोजगार के जो भी अवसर सृजित किया गया उन अवसरों को एक-एक कर ख़त्म किया गया सरकारी कंपनियों को बेचा गया. यह सब मोदी सरकार अपने दुलारे पूंजीपतियों के व्यक्तिगत फायदे के लिए कर रही है. जिसकी कीमत देश की युवा पीढ़ी चुका रही है.

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना: इस योजना को रोजगार सृजन करने वाले योजनाओं के रूप में खूब ढिंढोरा पीटा. यहाँ तक कि देश के लगभग सभी स्टेशनों पर एक सेल्फी पॉइंट बनाया गया है जहाँ मोदी जी की बड़ी तस्वीर के साथ लिखा है 2 करोड़ नौजवानों को स्किल्ड किया गया. जबकि इस योजना की सच्चाई यह है कि मात्र 18 प्रतिशत नौजवानों का ही प्लेसमेंट हो पाया, उसमें भी उन्हें न्यूनतम मजदूरी से भी कम सैलरी वाला जॉब मिल पाया है.

प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली: पेपर लीक व आरक्षण में घोटाले इन दिनों प्रतियोगी परीक्षाओं की पहचान बन गए हैं। शायद ही कोई परीक्षा हो जिसका पेपर लीक न हुआ हो या उसमें किसी तरह की धाँधली न हुई हो। उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक बहाली में आरक्षण घोटाला हुआ। इसके खिलाफ करीब एक साल तक चले आंदोलन के बावजूद भी सरकार ने इसकी जाँच नहीं कराई. पश्चिम बंगाल में एसएससी बहाली में बड़े पैमाने पर धाँधली हुई। दो साल से अधिक समय से अभ्यर्थियों का आंदोलन चल रहा है लेकिन सरकार की तरफ से इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। उत्तर प्रदेश में एसएससी, शिक्षक बहाली से लेकर दरोगा तक की परीक्षाओं में धाँधली, राजस्थान में शिक्षक पात्रता परीक्षा में धाँधली, झारखंड के जेपीएससी में धाँधली हुई है।
एक तरफ रोजगार के अवसरों का खत्म होते जाना और दूसरी तरफ जो थोड़े बहुत अवसर बचे हैं उसमें भी बड़े पैमाने पर धाँधली नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ है। आरवाईए आंदोलन की माँग रही है कि प्रतियोगी परीक्षाओं का बहाली कैलेंडर जारी किया जाए ताकि एक समय सीमा के अंदर बहाली की प्रक्रिया पूरी हो सके।  

सामाजिक न्याय का सवाल: मोदी सरकार लगातार सरकारी संस्थानों व नौकरियों को ख़त्म कर रही है. आरक्षण सरकारी नौकरियों में मिलता है, ऐसे में अगर सरकारी नौकरियों को ख़त्म किया जाता है तो आरक्षण स्वतः ख़त्म हो जायेगा. आरक्षण को कमजोर करने के लिए मोदी सरकार EWS आरक्षण लेकर आई जो बात करता है आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की लेकिन आरक्षण देता है उच्च जाति के लोगों को. यह आरक्षण के मूल भावना के खिलाफ है.

संविधान-लोकतंत्र-आज़ादी-भाईचारा: मोदी सरकार लगातार देश के संविधान को ताक पर रख कर विरोध की आवाजों व आम नागरिकों के अधिकारों को कुचल रही है। सरकार लोकतंत्र की संस्थाओं पर कब्जा जमाकर देश पर तानाशाही थोपने की कोशिश कर रही है। भारत की आजादी के आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि भारत का संविधान और आजादी के शहीदों/ आंदोलनकारियों द्वारा नए समतामूलक, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी हिंदुस्तान का सपना था। आज उन सपनों की हत्या की जा रही है। उमर खालिद सहित दर्जनों नौजवानों को आतंकवाद की संगीन धाराएं लगा कर जेल में डाला हुआ है जिनका गुनाह बस इतना है कि वो सरकार से सवाल करते थे. सड़क से लेकर संसद तक विरोध की आवाज़ को खामोश किया जा रहा है. टीएमसी सांसद को संसद से बर्खास्त सिर्फ इस लिए कर दिया गया क्योंकि वो सरकार को असहज कर देने वाले सवाल करती थी. मणिपुर के नौजवानों को आपस में भिड़ा दिया गया है जिसके चलते मणिपुर तबाही झेल रहा है.
 
महिला सुरक्षा-बराबरी: महिला सुरक्षा का नारा देकर सत्ता में आई मोदी सरकार में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भी बढ़ गई बल्कि इनकी सरकार में देश में पहली बार हुआ कि बलात्कार आरोपियों के पक्ष में तिरंगा मार्च निकाला गया. देश का नाम रौशन करने वाली महिला पहलवानों के साथ यौन हिंसा करने के आरोपी भाजपा सांसद को बचाने में पूरी सरकार को लगा दिया गया और महिला पहलवानों को विरोध प्रदर्शन भी नहीं करने दिया गया, दिल्ली की सड़कों पर दुश्मनों की तरह घसीटा गया. तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए आज महिलाएं शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में सामने भी आ रही हैं तो सरकार इनकी सुरक्षा को लेकर संवेदनशील नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद कार्यस्थलों व अन्य संस्थानों में यौन उत्पीड़न के खिलाफ प्रभावी कमेटियां नदारद हैं। वर्तमान सरकार में महिलाओं के खिलाफ होने वाले हिंसा में बेतहाशा वृद्धि देखी गई है.
 
संगठित हों-सवाल करें-बदलाव करें: ऐसे समय में हम नौजवानों की यह जिम्मेदारी है की इस दस साल के शासन का मूल्यांकन करें और सरकार से सवाल करें. इन दस सालों में सरकार की यही उपलब्धि रही है कि जिस काल में पूरी सत्ता और मीडिया ने मिल कर नफरत का जहर आम लोगों के सामने परोसा, उस काल का नाम “अमृतकाल” दिया गया. जिस पीढ़ी की पीठ पर इस मोदी शासन की लाठी सबसे ज्यादा जोर से लगी है उस पीढ़ी का नाम “अमृतपीढ़ी” दिया गया है. विनाश और विध्वंस को विकास बताया जा रहा है. देशी-विदेशी पूँजी पर निर्भरता को “आत्मनिर्भर भारत” बताया जा रहा है. जहाँ सत्ता द्वारा हर दिन लोकतंत्र का कत्लेआम किया जा रहा है उसे “मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी” कहा जा रहा है. अडानी जैसे अपने दुलारे पूंजीपतियों के विकास को “सबका साथ-सबका विकास” कहा जा रहा है और दुनिया की बड़ी ताकत बनने का दावा करने वाली मोदी सरकार की सच्चाई यह है कि वर्ल्ड बैंक के एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में युवा बेरोजगारी दर पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान और चीन से ज्यादा है. वैश्विक भूख सूचकांक 2023 में भारत का स्थान 125 देशों की सूचि में 111वां है. यह स्थान पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल से भी नीचे है. 

इसलिए आइए सरकार के दस साल पूरे होने पर इन तबाही-बर्बादी-विनाश का हिसाब लें, सवाल करें और कुछ ही दिनों में देश में लोकसभा चुनाव में जाने वाला है वहां इसका जवाब भी दें. 
 
सांप्रदायिक बुलडोजर राज के खिलाफ नौजवानों की एकता व भाईचारे को मजबूत करो!
मुद्दा मत भटकाओ, कितने नौजवानों को रोजगार दिया यह बतलाओ! 

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