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26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के मौके पर देशव्यपी तिरंगा मार्च !


26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के मौके पर देशव्यपी तिरंगा मार्च !

 
26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के मौके पर देशव्यपी तिरंगा मार्च !

इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) ने 26 जनवरी को देशव्यापी तिरंगा मार्च नकाल कर सरकार से सरकारी संपदाओं को बेचने का फैसला वापस लेने की मांग की. देश की संपदाओं को बेचना आजादी व गणतंत्र की भावनाओं के खिलाफ है इस लिए सरकार ऐसा करने से बाज आए.

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लोकतंत्र व संविधान पर हमले जारी है. एक तरफ सरकार नौकरियों के पहले से मौजूद अवसरों को ख़त्म कर रही है दूसरी तरफ इसका लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने वाले नौजवानों पर लाठियां बरसाई जा रही है, जेल भेजा जा रहा है और धामकियाँ दी जा राही है की जो लोग विरोध प्रदर्शन करेंगे उनको नौकरी नहीं मिलेगी.

आज देश में ऐसे माहौल बनाने की कोशिश चल रही है जिसमें विरोध की लोकतांत्रिक आवाजों को खामोश कर दिया जाय. जो अधिकार हमें आजादी के अन्दोलन से मिले संविधान ने दिया है उसे भी छीन लेना चाहती है मोदी सरकार. ऐसे समय में नौजवानों की जिम्मेदारी है की वह अपने संविधान व लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे आए. इसलिए आज आरवाइए देशभर में तिरंगा मार्च निकालकर गणतंत्र बचाने के लिए नौजवानों से आगे आने की अपील की.

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा में हुए धांधली के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन कर रहे नौजवानों पर बर्बरतापूर्वक लाठी चार्ज व आंसू गैस के गोले की फायरिंग, सरकार के तानाशाही रवैये का परिणाम है. सरकार द्वारा ऐसा करना हमारे गणतंत्र पर हमला है क्यों की हमारा लोकतंत्र हमें विरोध प्रदार्शन करने का अधिकार देता है.

आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा के रिजल्ट में धांधली तथा ग्रुप डी की परीक्षा में तुगलकी फरमान के खिलाफ आंदोलनरत अभ्यर्थियों पर बर्बर दमन, लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले, मुकदमा व गिरफ्तारी के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा रेलवे की नौकरियों को खत्म कर उसे प्राइवेट सेक्टर के हवाले करने के खिलाफ उठ खड़े हुए व्यापक छात्र-युवा आंदोलन के समर्थन में आगामी 28 जनवरी को बिहार बंद और देश भर में विरोध प्रदर्शन संगठित करने का आह्वान किया गया.

एक तरफ सरकार नौकरियों के अवसरों को बेच रही है दूसरी तरफ जो बचे अवसर हैं वो भी धांधली की भेंट चढ़ जा रहे हैं. 2019 में रेल मंत्रालय द्वारा जारी 35281 पदों के लिए हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा का पीटी रिजल्ट 14 जनवरी 2022 को आया. पीटी के रिजल्ट में पदों के 20 गुना रिजल्ट जारी करने की बात थी. इस लिहाज से 7 लाख रिजल्ट आने चाहिए थे. रेलवे ने रिजल्ट भी इतना ही जारी किया, लेकिन इसमें तकरीबन 4 लाख रिजल्ट ऐसे हैं जिनमें कोई एक अभ्यर्थी दो से अधिक, यहां तक कि 7 पदों पर सफल हुआ है. इस तरह वास्तविकता में महज 2 लाख 76 हजार रिजल्ट ही जारी हुआ है. अभ्यर्थियों की मांग एकदम जायज है कि एक पद के लिए एक अभ्यर्थी का ही रिजल्ट देना चाहिए. इससे साफ प्रतीत होता है कि रेलवे ने जितनी वैकेंसी निकाली थी, उतनी बहाली नहीं कर रही है. अभ्यर्थी सरकार के इस खेल को समझ रहे हैं.
दूसरा मामला ग्रुप डी की परीक्षा की है. इसमें 1 लाख 3 हजार पदों पर बहाली होनी है, जिसपर तकरीबन 1 करोड़ आवेदन आए हैं. यह अपने आप में देश में बढ़ती बेरोजगारी की दर को दिखला रहा है, जहां ग्रुप डी के पदों के लिए भी भारी मारामारी है. पहले के नोटिफिकेशन में इस परीक्षा में केवल पीटी परीक्षा लेने की बात कही गई थी, लेकिन अब एक तुगलकी फरमान निकालकर दो परीक्षाओं को आयोजित करने की बात कही जा रही है.

सरकार नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ बंद करे और अन्दोलाकारी अभ्यर्थियों से बात कर उनकी मांगों को माने और संविधान व गणतंत्र पर हमले बंद करे.

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