25 लाख खाली पड़े सरकारी नौकरियों के पद पर अविलंब नियुक्ति की घोषणा करें योगी सरकार
दमन और गिरफ्तारी से नहीं रुकेगा रोज़गार अधिकार आंदोलन ।
रोजगार को मौलिक अधिकार का दर्जा देने की मांग।
उत्तर प्रदेश छात्र युवा रोजगार अधिकार मोर्चा के बैनर तले चलाए जा रहे 'यूपी मांगे रोजगार' अभियान के तहत आज 2 दिसंबर को 25 लाख सरकारी पदों को भरने समेत विभिन्न मांगों को लेकर विधानसभा तक मार्च करने की घोषणा थी, जिसके तहत पूरे प्रदेश के अलग-अलग जिलों से सैकड़ों नौजवान लखनऊ पहुंचे। नौजवानों के विधानसभा मार्च से डरी हुई योगी सरकार जगह-जगह पर नौजवानों को लखनऊ आने से रोक रही थी। लखनऊ चारबाग स्टेशन से सुबह सुबह से ही गिरफ्तारियां शुरू हो गईं। सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया। बावजूद इसके नौजवानों ने केकेसी कॉलेज पर इकट्ठा होकर रोजगार अधिकार मार्च शुरू किया। विधानसभा की ओर आगे बढ़ने पर बर्लिंगटन चौराहे होते हुए नौजवानों ने आगे बढ़ने की कोशिश की जहां पर पुलिस और नौजवानों के बीच काफी धक्का-मुक्की हुई और पुलिस ने बर्बरतापूर्ण व्यवहार करते हुए कोहनी व डंडों से मारा व फोटो खींच रहे साथी का कैमरा भी पुलिस प्रशासन ने छीन लिया।
जुलूस प्रदर्शन के दौरान 'आंकड़ों में मत उलझाओ, रोजगार कहां है यह बतलाओ', '25 लाख सरकारी पदों को तत्काल भरो', 'रोजगार न मिलने तक 10000 बेरोजगारी भत्ता दो', '69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला की जांच कराओ', '97 हजार नई शिक्षक भर्ती घोषित करो', 'रोजगार नहीं तो सरकार नहीं', 'निजीकरण पर रोक लगाओ, रोजगार को मौलिक अधिकार बनाओ', 'आरक्षण विरोधियों की सरकार नहीं चलेगी', 'सरकारी संपत्तियों को बेचना बंद करो' आदि नारे लगा रहे थे।
गिरफ्तारी के बाद इको गार्डन में हुई सभा को सम्बोधित करते हुए छात्र युवा रोज़गार अधिकार मोर्चा के संयोजक व इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाइए) के राज्य सचिव सुनील मौर्य ने कहा कि, " पूरे प्रदेश के नौजवानों में बेरोजगारी के खिलाफ गुस्सा है। नौजवान रोज़गार के सवाल पर मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश करेगा तो लाठी-डंडों के बल पर रोक दिया जाएगा जिसको छात्र नौजवान बर्दाश्त नहीं करेगा। चुनाव से पहले 25 लाख रिक्त सरकारी पदों को नहीं भरा गया तो नौजवान योगी सरकार को सत्ता से बेदखल करने का काम करेगा।"
आइसा के राष्ट्रीय महासचिव प्रसेनजीत कुमार ने कहा कि, " उत्तर प्रदेश में चल रहे रोज़गार आंदोलन पर योगी सरकार लगातार दमन कर रही है। वह सोच रही है कि लाठी, दमन से यह बात दब जाएगी लेकिन रोज़गार की लड़ाई यूपी में और अधिक मजबूत होती जा रही है। पूरे देश के बेरोजगार युवाओं की 10% आबादी यूपी में रहती है। कोरोनाकाल के दौरान लॉक डाउन में लाखों नौकरियाँ खत्म हुईं जिसका एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश से था लेकिन इसपर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने आगे कहा कि, "नए रोज़गार देने की बात तो छोड़िए, खाली पदों को भरना भी दूर की बात है, लेकिन इस सरकार में तो नौकरियों को व्यवस्थित रूप से खत्म किया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ की सरकार 70 लाख रोजगार देने के वादे के साथ यूपी में सत्ता में आई थी लेकिन लगभग 25 लाख खाली पड़े सरकारी नौकरियों के पदों को भी नही भर पाई है। रोजगार के मुद्दे पर सरकार को अपना वादा निभाना होगा वार्ना आने वाले विधानसभा चुनाव में वादाखिलाफी करने वाली योगी सरकार को सत्ता से बेदखल करने का काम करेगी। "
इंकलाबी नौजवान सभा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि, "इस धारावाहिक रोज़गार आंदोलन ने सरकार के होश उड़ाकर रख दिये हैं, 2022 में योगी सरकार रोज़गार के सवाल को नजरअंदाज करके सत्ता में नहीं बनी रह सकती। रोज़गार की लड़ाई सरकार बदलने की लड़ाई नहीं है बल्कि सरकार बदल जाने के बाद भी जारी रहने वाली लड़ाई है और इसे बड़ी एकजुटता के साथ जारी रखना होगा।"
आइसा-लखनऊ की जिलाध्यक्ष प्राची मौर्य ने कहा कि, "देश में शिक्षा के बढ़ते निजीकरण और उसके परिणामस्वरूप हाशिये के तबकों की शिक्षा से बढ़ती बेदखली आज चरम पर है। नई शिक्षा नीति इन बातों को पुख्ता करने का दस्तावेज है। बढ़ती फीसें, घटती आमदनी, रोज़गार के अवसरों में भारी कमी आदि आज के छात्र एवं युवा समुदाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण सवाल हैं। युवाओं में पनप रहा गुस्सा वर्तमान योगी सरकार को सत्ताच्युत करके ही दम लेगा।"
यूपी मांगे रोज़गार-बनारस की चंदा यादव ने कहा कि, "योगी सरकार महिलाओं के प्रति बिल्कुल भी संवेदनशील नहीं है। प्रदर्शन के दौरान महिला साथियों के साथ बदतमीजी की गई, उन्हें प्रताड़ित किया गया। रोज़गार का सवाल महिलाओं के लिए और भी महत्वपूर्ण सवाल है। महिलाएं बहुत मुश्किल से प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए घर से निकल पाती हैं और इस सरकार में बड़े स्तर पर हो रहे पेपर लीक से उन्हें सबसे ज्यादा समस्या झेलनी पड़ती है। यह सरकार अब बहुत दिन टिकने वाली नहीं है, 2022 में उत्तर प्रदेश में युवा बदलाव चाहता है।"
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